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शनिवार, 22 मार्च 2008

अच्छा किया जो आपने होली मना ली .

आपने होली मनाया क्या ? क्या कहा , हाँ , अच्छा किया जो होली मना लिया । नहीं मनाते तो बड़ी मुश्किल हो जाती । क्या कहा कैसे ? अरे भाई बताता हूँ कैसे ।
यदि आप होली नहीं मानते तो , तो क्या , नहीं नहीं कुछ नहीं बस इस साल की होली मनाने से चूक जाते। हैं न , और अगली होली के लिए पूरे एक साल इंतज़ार करना पड़ता । तब तक के लिए हमारे दबे हुए अरमान दबे के दबे रह जाते । क्यों सही हैं न । मौका जो आया है आया है होली का , बहाना जो है होली का , चलो इसी के बहाने अपने अपने दबे हुए अरमान उगल दो । आप कहोगे किस से , यह भी मुझे बताना पड़ेगा । चलो फिर भी बता देता हूँ। अपने दोस्तों या सहेलियों से किसी की बुराई या चुगली करनी हो, भाभी या दीदी से उनकी चोटी बहन / भाई या फिर देवर / ननद के बारे मैं कुछ कहना हो ( कुछ का मतलब समझ गए न )। चाचा चाची , मामा मामी , दादा दादी , नाना नानी या फिर किसी रिश्तेदार या सम्बन्धी से कोई बात होली के बहाने कह डाली होगी । हो सकता है महीनों , नहीं सालो पुरानी बात बन गई होगी। होली के बहने ही सही कट्टी मिट्ठी मैं बदल गई होगी । चलो बात तो शुरू हो गई होगी । और यदि बात नहीं बनी होगी तो , आपने कहा होगा मैं तो मजाक कर रहा था , और कह डाला होगा बुरा न मानो होली है । ठीक हैं न।
दूसरी बात यह है की रंग गुलाल जिसे कंपनी वालों ने पता नहीं क्या क्या मिलकर बनाया होगा , होली खेलकर उन्हें फायदा जो पहुचाना है । गली मोहल्ले के नाले , गटर व कीचड़ से भरे हुए दब्ब्रे आपके सम्पर्क मैं आकर धन्य हो गए होंगे । उनके कीडे मकोडे के भी अधूरे अरमान पूरे हो गए होंगे । ठीक हैं न बहुत हो चुकी होली । होली मना लिया न तो लौट चलो अपने काम पर यह कहकर की बुरा क्यों माने होली जो है ।
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