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गुरुवार, 24 अप्रैल 2008

एक हिंदुस्तानी की डायरी: लिखें तो ऐसा कि दूसरे लोग जुड़ते चले जाएं

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बहती नदी मध्य एक #पत्थर !

ढूंढते हैं #पेड़ों की छांव , पंछी , #नदियां और तालाब ठंडी ठंडी हवा का बहाव , आसमां का जहां #धरती पर झुकाव । बहती नदी मध्य एक #पत्थर , बैठ गय...