फ़ॉलोअर

मंगलवार, 10 जून 2008

तेल का विकल्प खोजना आवश्यक हो गया है .

समस्त विश्व मैं मंहगाई की हा हा कर मची है । जनता बढ़ती हुई मंहगाई से त्रस्त है और सरकार मंहगाई को काबू मैं लाने के हर जतन कर हार गई है । किंतु मंहगाई है की कम होने कार नाम ही नही ले रही है । जिससे उन्हें जनता के क्रोध और नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है , और वोट बैंक से वोटर के दूर जाने के नुकसान को सहना पड़ रहा है ।
क्या करे अंतराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम जो आसमान छू रहे हैं । अब सरकार को भी तो इस कच्चे तेल को बाहर से बढे हुए दामों मैं खरीदना पड़ता है । अब ऐसे मैं सरकार कब तक नुकसान उठाकर इन तेल उत्पाद को कम दामों मैं जनता को उपलब्ध कराते रहेगी , मजबूरन सरकार को जन अलोकप्रिय कदम उठाने हेतु बाध्य होना पड़ रहा है और पेट्रोल , डीज़ल और रसोइगेस के दाम बढाना पड़ रहा है । संभवतः यही स्थिति विश्व के अधिकतर देशों की है ।
यह स्थिति कब तक ऐसे ही चलते रहेगी , कब तक हमे अपनी अर्थव्यवस्था का निर्धारण तेल देशों के इशारे पर करने हेतु मजबूर होना पड़ेगा । यह एक ही एक ऐसा उत्पाद है की जिसने विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर अपनी दखल बनाए रखा है । कभी न कभी तो हमे इसका हल निकलना पड़ेगा , ताकि हम स्वतंत्र रूप से अपनी अर्थव्यवस्था को चला सके । अतः अब समय आ गया है की इस समस्या का समाधान समस्त विश्व को मिलकर ढूड़ना होगा । ईधन और उर्जा के अन्य सस्ते , प्राकृतिक और स्थानीय विकल्प को खोजना होगा । सूर्य उर्जा और पवन उर्जा सबसे सस्ते , सरल और सभी जगह विधमान साधन के रूप मैं सिद्ध हो सकते है । बस आवश्यकता है की इन पर और शोध और अनुसंधान कर सर्वसुलभ , सस्ते और तर्कसंगत युक्ति और उपकरण के आविष्कार की , ताकि आम जन अपने सीमित बज़ट मैं रहकर इसको अपना सके । ईधन के जेट्रोफा जैसे अन्य कई वनस्पातिक स्रोत को खोज निकालने की जो स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध हो सके और जिसको कम लागत मैं उगाकर उसका तेल निकलकर ईधन के रूप मैं उपयोग कर सके । इसी प्रकार ईधन और उर्जा के अन्य विकल्प पर अधिक शोध और अनुसंधान कर उसकी आमजन तक सर्व सुलभता सुनिश्चित करने की ।
इससे निश्चित रूप से विश्व को इन घटते हुए और मंहगे होते हुए ईधन और उर्जा के स्रोतों पर निर्भरता कम होगी । बड़ी धन राशी के देश के बाहर प्रवाह पर भी रोक लगाने मैं मदद मिलेगी । बढ़ती हुए मंहगाई को रोकने और इससे बिगड़ती हुए अर्थव्यवस्था को सवारने मैं भी मदद मिलेगी । तेल उत्पादों के प्रयोग से बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से निपटने मैं भी मदद मिलेगी ।

1 टिप्पणी:

  1. सही बात है पर उसके लिए सरकार मे बैठे नुमायीन्दो को इमानदारी ओर देश के हित को पहले सोचना होगा .....

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi

नील लगे न पिचकरी, #रंग चोखा आये ,

  नील लगे न #पिचकरी, #रंग चोखा आये , कीचड का गड्डा देखकर , उसमें दियो डुबाये .   ऊंट पर टांग धरन की , फितरत में श्रीमान , मुंह के बल...