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शुक्रवार, 7 नवंबर 2008

ओवामा की जीत - भारत मैं भी एक युवा नेत्रत्व की आस !

४७ वर्षीया ओवामा की जीत ने हम भारतीया लोगों मैं भी एक तमन्ना और एक विशवास जगा दिया है की आज नही तो कल युवा नेत्रत्व के हाथों मैं भारत की कमान आएगी । इन बुढे और निढाल हो चुके बुजुर्ग नेत्रत्व से देश को जरूर मुक्ति मिलेगी । जिनमे मानसिक रूप से न तो इतना जोश और उर्जा होती है की कोई साहसिक फ़ैसला ले सके और न ही इतना शारीरिक बल होता है की दिन रात एक कर देश की हर छोटी बड़ी समस्या को सुलझा सके । बस होता है तो जीवन का लंबा अनुभव जो की बदलते परिवेश के साथ अपनी प्रासंगिकता खोता जाता । साथ ही उनसे परम्परा से हटकर कुछ नया सोचने की उम्मीद भी नही की जा सकती है । संभवतः यही कारण है की देश मैं आज समस्याओं और परेशानियों का अम्बार लगा हुआ है और जिनका कोई सार्थक और प्रभावकारी हल नही निकल पा रहा है । आज देश मैं समस्यायें ज्यों की त्यों बनी हुई है । और उनमे सुधार होने की बजाय स्थिती दिनों दिन बिगड़ती जा रही है । चाहे मंहगाई की बात करें या आर्थिक मंदी की बात , बाह्य आतंकवाद की बात करें या व्यवस्था के ख़िलाफ़ उभरे असंतोष से उपजे नक्सलवाद की । देश मैं फैली प्रशसनिक अव्यवस्था की बात करें या सामाजिक अव्यवस्था की या फिर अन्य कई समस्यायों की ।
हर मामले मैं अब देश का बुजुर्ग होता नेत्रत्व अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है । देश के सदन की बात करें या फिर किसी महत्वपूर्ण सेमीनार या जन आयोजन की या फिर प्रदेशों के विधानमंडलों की सभाओं की जन्हा देश प्रदेश और जन हित के मुद्दों पर गंभीर चिंतन मनन करना होता है कई जन नायक सोते हुए अथवा लंबे जीवन की थकान से बोझिल होते पाये जाते हैं । शारीरिक अस्वस्थता एवं अक्षमता और ढलती उम्र पूर्ण उर्जा और जोश के साथ लंबे समय तक कार्य करने मैं बाधक बनती है परिणामतः वाँछित और उचित परिणाम समय पर मिल सकने मैं विलंब होता है ।।
अतः देश को भी दरकार है ओवामा जैसे उर्जावान , साहसिक और दृढ संकल्पी प्रवृत्ति के युवा नेत्रत्व की । जो देश के लिए कुछ नया और अच्छा सोचे । जो वोट बैंक और तुष्टिकरण की नीति और राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचे । जो सपना देखे एक नए और युवा , सम्रद्ध और विकसित भारत की और उस सपना को सच करने मैं दृढ शारीरिक और मानसिक क्षमता के साथ देश के युवाओं को साथ लेकर और बुजुर्गों के अनुभव से मार्गदर्शन लेकर दिन रात महनत कर सके ।
अब यह युवा नेत्रत्व का सपना जो देश की उतरोतर प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा , ओवामा की जीत ने भारत क्या विश्व के लोगों मैं यह उम्मीद और आशा की किरण जगा दी है जो आज नही तो कल जरूर पूरी होगी ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. अरे ऒबामा की जी्त की खुशी अमेरिका मै कम ओर हमे बहुत ज्यादा हो री है, उस के गुण... हमे ज्यादा पता है अमेरिकन को कम....
    धन्यवाद

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  2. bharat mae aap yuva netratav ki baat bekaar kartey haen , yaahan log kewal aur kewal puraani cheezo sae chipake rehatey ahen un say bhi jo obselete ho chuki haen
    umr or experience ki baat nahin kar rahee hun mae uska bahut nehtav haen baat kar rahee hun naayee soch nayee peddhi ko smajhney ki , nayee cheezo ko aagey laaney ki aur parparaaye nayee bnaaney ki tabhie rakii sambhav haen
    kabhie samay nikal kar is link ko dekhey
    http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2008/11/blog-post_07.html

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका दृष्टिकोण सही
    और विचार सटीक हैं.
    ==============
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  4. वाह बहुत खूब लिखा है आपने.

    नमस्कार, उम्मीद है की आप स्वस्थ एवं कुशल होंगे.
    मैं कुछ दिनों के लिए गोवा गया हुआ था, इसलिए कुछ समय के लिए ब्लाग जगत से कट गया था. आब नियामत रूप से आता रहूँगा.

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