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सोमवार, 27 अप्रैल 2009

चुनाव आचार संहिता के साथ ही भाषण, रैली , सभाएँ और चुनावी प्रचार प्रसार बंद हो .

जब भी देश अथवा प्रदेश मैं चुनाव की तिथियों की घोषणा होती है वैसे ही देश मैं आचार संहिता लागू कर दी जाती है और सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था द्वारा जनहित अथवा जनता को प्रभावित करने वाले नए किए जाने वाले कार्यों को बंद करा दिया जाता है और नए वादे अथवा घोषणाओं पर पाबंदी लगा दी जाती है । इस प्रकार चुनाव संपन्न हो जाने तक ये प्रतिबन्ध जारी रहते हैं किंतु इसके इतर राजनीतिक पार्टियाँ , राजनेताओं के लुभावने वादे और घोषणाओं पर रोक नही लगाई जाती है और न ही उनके सभाएँ , रेलियाँ और मतदाताओं को प्रलोभित और बरगलाने वाले चुनावी प्रचार प्रसार पर रोक लगाई जाती है । जबकि निष्पक्ष और शांतिपूर्वक मतदान के लिए यह भी जरूरी है की चुनाव आचार संहिता के साथ ही भाषण, रैली , सभाएँ और चुनावी प्रचार प्रसार पर रोक हो जाना चाहिए साथ ही इसके लिए ऐसे कदम उठाये जावे जिससे मतदाताओं को प्रभावित और प्रलोभित कर बरगलाए न जा सके ।

उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार प्रसार और अपनी छबियों को निखारने का समय तो चुनाव के पहले का होना चाहिए जिसमे उम्मीदवार क्षेत्र की जनता के साथ हमेशा हर सुख दुःख मैं उसके साथ खड़ा रहा हो और क्षेत्र के विकास और कल्याण के लड़ने वाली लड़ाई मैं हमेशा तत्परता से आगे रहा हो , उनके वर्षों के समाज कल्याण और समाज सेवा के कार्य उनकी पहचान होनी चाहिए , समाज और देश के प्रति उनके आदर्श और नैतिक आचरण उनकी छबि होनी चाहिए , न की तुंरत के झूठे और लुभावने वादे और आकर्षक और मंहगे प्रचार प्रसार ।
चुनाव आयोग के द्वारा ही हर निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए । पंचायत , नगरपालिका और कलेक्टर कार्यालय और सार्वजनिक स्थानों जैसे बाज़ार , हट , मेलो अथवा चोराहों पर चुनाव हेतु खड़े उम्मीदवारों की जानकारी उनके संक्षित परिचय के साथ पम्फलेट , फोल्डर , लीफ्रेड्स एवं हेंडी बुक आदि के माध्यम से किया जाना चाहिए । साथ ही आकाशवाणी और टीवी प्रसारण के माध्यम से ऐसे ही प्रचार और प्रसार किए जाने चाहिए ।
इससे इन रैलियों , सभायों और प्रचार प्रसार से जनता को होने वाली असुविधाओं और परेशानियों से निजात मिलेगी , क्षेत्र मैं अनावश्यक होने वाले तनाव और असुरक्षा के माहोल से बचा जा सकेगा । व्यवस्था मैं लगाएं जाने वाले भारी भरकम सरकारी महकमा और सरकारी खर्च से मुक्ति मिलेगी । संभवतः चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवार के प्रचार प्रसार का खर्च बार बार उम्मीदवार की भाषण, रैली , सभाएँ और चुनावी प्रचार प्रसार के अंतर्गत शान्ति व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने मैं किए जाने वाले खर्च से तो कम ही होगा ।
साथ ही साफ़ सुथरी और इमानदार छबि के साथ जन हितेषी भावना रखने वाले उम्मीदवार जो धनबल और बाहुबल के अभाव मैं पर्याप्त मात्रा मैं प्रचार प्रसार नही कर पाते है और उनका वर्षों का समाज सेवा का कार्य और साफ़ सुथरी और इमानदार छबि , तुंरत के चुनाव के समय चमक धमक वाले लुभावने और मंहगे प्रचार प्रसार के सामने धूमिल हो जाते हैं , से भी निजात पाया जा सकेगा । सभी को समान रूप से महत्त्व मिलेगा और जनता भी तुंरत की चमक धमक और मंहगे लुभावने प्रचार प्रसार के बहकावे मैं नही आ पायेंगे और बिना प्रभावित हुए बिना स्व विवेक से निष्पक्ष रूप से मतदान कर पायेंगे ।

इस प्रकार के कदम निश्चित रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान कराने मैं मील का पत्थर साबित होंगे और एक इमानदार और स्वच्छ छबि वाले एक योग्य और जन हितेषी उम्मीदवार जनता बिना किसी प्रलोभन और प्रभाव के स्व विवेक से चुन सकेगी ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. भाई ये सब न बंद करवाओ...
    इसी बहाने पांच साल में कम से कम एक बार तो नेता लोग दिख जाते हैं.

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  3. Deepak ji aapne jo chunaavi sudhaaron ka havan kund prajvalit kiyaa hai usme apne vichaaron aur samarthan ki aahutiyaan jyadaa se jyadaa aayen aisee jhalle ki kaamnaa hai.saadhuvaad.

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