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शुक्रवार, 25 अप्रैल 2008

अतिशयोक्ति पूर्ण विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए !

रोज सुबह आते दैनिक या साप्ताहिक अखबार हो , टीवी मैं चलने वाले नियमित कार्यक्रम हो या फिर रेडियो मैं चलने वाले प्रोग्राम हो या मोबाइल मैं आने वाले कंपनियों के संदेश हो । सभी मैं विज्ञापनों के माध्यम अपने उप्ताद एवं सेवाओं को श्रेष्ठ बताकर उन्हें बेचकर अधिक से अधिक लाभ कमाने की होड़ लगी हुई है । किंतु इन प्रचारित किए जाने वाले विज्ञापनों मैं कितनी सच्चाई है यह किसी से छुपी नही हुई है। फिर भी दिखाए जाने वाले विज्ञापनों से लोग प्रभावित हुए बिना नही रहते हैं , बच्चे तो प्रभावित होते ही है साथे ही बड़े लोग भी प्रभावित हुए बिना नही रहते हैं । और विज्ञापनों से प्रेरित होकर सेवाओं और उत्पादों को खरीदने हेतु प्रयास रत रहते है ।
इन विज्ञापनों के उत्पादों और सेवाओं के प्रचार हेतु नामचीन और प्रख्यात हस्तियों का आना , विज्ञापनों के माध्यम से उत्पादों और सेवाओं की बिक्री मैं महत्व पूर्ण भूमिका अदा करते हैं । अधिकतर उपभोक्ता और खरीददार वे होते हैं जो उत्पादों के गुणवत्ता के बारे ज्यादा नही सोचते हैं वे सिर्फ़ प्रचार करने वाले नामचीन और प्रख्यात हस्तियों के प्रति दीवानगी के कारण उनके द्वारा प्रचारित वस्तुओं और सेवाओं को खरीदते हैं ।
कई विज्ञापन तो इतने अतिशयोक्ति पूर्ण और अविश्विस्नीय होते हैं की प्रचारित उत्पादों के उपयोग के बाद भी आम जिन्दगी मैं वैसा परिणाम नही पाया जा सकता है जैसा की विज्ञापनों मैं दिखाया जाता है । इन विज्ञापनों से बच्चों मैं काफी बुरा असर पड़ता है । वे उनके आइडियल हीरो के द्वारा प्रचारित उत्पादों और सेवाओं को खरीदने हेतु लालायित तो रहते ही है साथ ही उनके द्वारा इन विज्ञापनों मैं किए गए अविश्वसनीय साहसिक कार्यों का अनुसरण करने की भी कोशिश करते है जो की उनके जीवन के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध हो सकता हैं । बेसमय आने वाले इन विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को परेशानी तो होती है साथ ही उनकी निजी जिन्दगी मैं खलल पैदा होती हैं । इन विज्ञापनों मैं काम करने हेतु नामचीन और प्रख्यात हस्तियों को भारी धन राशी भी दी जाती है जिसकी वसूली आम उपभोक्ता से उत्पादों की कीमतों मैं जोड़कर वसूल की जाती है ।
अतः ऐसे विज्ञापनों मैं रोक लगानी चाहिए , जो सच्चाई से कोसों दूर हैं और जो आम उपभोक्ता को भ्रमित करते हैं इन विज्ञापनों मैं लगने वाले धन की वसूली भी उपभोक्ता से करते है ।

9 टिप्‍पणियां:

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  2. पेप्सी-कोक क्या बहुत अच्छा माल है? हड्डियाँ कमज़ोर करने और ब्लड पी एच संतुलन बिगाड़ने वाले पानी-शक्कर-केमिकल के मिश्रण को लोग 40 रुपये लीटर खरीदते हैं और स्टेटस सिम्बल मान कर पीते हैं. सिर्फ़ विज्ञापनों के कारण, एड न दें तो कोई पूछे भी न. और फ़िर हर डॉक्टर नूडल्स, बिस्किट्स, पास्ता, इंस्टेंट फ़ूड, रेडी टू ईट, हाई शुगर हाई रिफाइंड फ्लोर से दूर रहने को कहता है, फ़िर भी लोगों में इसके उपभोग की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. तुम्हारे सामने ही लोग सब जानते हुए भी खा पी रहे हैं और फ़िर भी तुम कहते हो की विज्ञापन कुछ नहीं करते. अपने कमेन्ट का पहला पेरा फ़िर पढो और ज़रा सोचो.

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  5. विज्ञापन बनाये जाते हैं मूर्ख बनाने के लिये, अब कौन-कौन, कितना और कैसे बनता है ये अलग बात है :)

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  6. sabhi buddhijeevi blog pathak ko blog padhne aur us par apni jaagruk pratikriya dene ke liye bahut bahut dhanyavaad .
    ek pathak mahoday ki is baat par ki vigyapan band hone par tv main kuch nahi ayega .
    kintu main keval un vigyapano par rok lagaane ke baat kar raha hoon jo vastvik sacchai se koso door rahte hain.
    doosri baat yeh ki khanapurti karne ke naam par in vigyapano main chetavni ka sthan nimn darje ka rahta hai.jise samanya taur par tao bina vishesh dhyan diye bagair nahi dekh sakta hai.
    Atah mera sirf yahi kahna hai ki vigyapn utpadon aur sevayon ki vastvikta aur sacchai se door na ho.

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  8. Some of these newer super-bright LED light products will light
    up on voltages ranging from 10 volts DC to 30 volts DC, while others
    will run on as little as 8 volts. The bulbs can be
    bought from any electrical store and even on the
    Internet. Where By By turf carp communities are perhaps taken all the way through selling such as a biocontrol needed for
    noxious pernicious weeds, they should be taken back within the water in
    and additionally unscathed.

    my web-site ... LED Stehleuchten

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