शनिवार, 21 दिसंबर 2024

#फुर्सत मिली न मुझे !


#फुर्सत मिली न मुझे

अपने ही काम से

लो बीत  गया एक और #साल

फिर मेरे #मकान से ।

 

सोचा था इस साल

अरमानों की गलेगी दाल ,

जीवन के ग्रह  #नक्षत्रों की

हो जायेगी  अच्छी  चाल

पर चलती रही जिदंगी इस साल भी

पुराने ही #इंतजाम से ।

 

बहलाता रहा मन को

कुछ #सपनों की शाम से

लो बीत गया एक और साल

फिर मेरे मकान से ।

 

कुछ #तालमेल कुछ #जुगाड़

कभी उत्साह तो कभी थक हार

गर न बना काम तो

ज़िम्मेदारी भाग्य पर डाल

मन में न रख कुछ #मलाल

खेल ली ज़िंदगी

कुछ ऐसी ही सामान से ।

 

फुर्सत मिली न मुझे

अपने ही काम से

लो बीत  गया एक और साल

फिर मेरे मकान से । 
                   **दीपक कुमार भानरे**

https://youtube.com/shorts/iuO2wHSsSDc?si=OwJ1qG_VWW5Gx1cb

सोमवार, 9 दिसंबर 2024

उफ्फ ये #ठंड की सौगात ।

#किटकिटाते दांत है
कपकपाते हाथ
भाप निकलती मुख से
जब करते है बात

उफ्फ ये #ठंड की सौगात ।
हथेलियों को रगड़
कभी गालों में स्पर्श
तो कभी कानों को पकड़
कोशिश है तोड़ने की
ठंड की अकड़
उफ्फ ये ठंड की जकड़ ।


मोटे गरम कपड़े
पहन बिछौना पर पसरे
गरम काफी और चाय
कई दफा हलक से उतरे
घर में जला अलाव
ठंड ज्यादा न अखरे
उफ्फ ये ठंड के नखरे ।

थोड़ी सर्दी थोड़ा जुकाम
थोड़ा गला नाक जाम
कभी विक्स कभी बाम
तो गुड का काढ़ा का जाम
पीकर जल्दी करते आराम
उफ्फ ये ठंड पर लगे लगाम ।


सुबह देर जल्दी शाम
देर से आता है घाम
ठिठुरते ठिठुरते लोग यहां
अब करते है अपना काम
और न जाने कब
दिन हो जाता तमाम
उफ्फ ये ठंड का तामझाम ।