बुधवार, 27 फ़रवरी 2008

.गरीब

ठंड , धुप और बारिश की किए बिना परवाह
करता रहता हर मौसम मैं काम ।
चिंता नही होती जिसको अगले दिन की
बस आज का करे इंतजाम ।
बड़े बड़े महल , भवन बनाये आलीशान
पर रहने को है धरती आसमान ।
जिसको भय न चोर लुटेरों का
जो सारी रात चैन से करे आराम ।
कैसी भी मुश्किल या परेशानी आए
लेकर ईश्वर का नाम बढ़ता सीना तान ।
नेताओ का वोट बैंक है जो
मिलता नही है राशन बस मिलता है अश्वाशन ।
अफसर , बाबू और सरकारी महकमा
भ्रष्टाचार का खेल खेलते लेकर जिसका नाम ।
एक दिन पूरे होंगे हमारे हर अरमान
इसी आशा के फेर मैं ताज देते है प्राण ।
वह है गरीब !!

4 टिप्‍पणियां:

  1. aapne garibi par ye jo kavita likhi hai vah to sahi hai par kya aapne kabhi kisi garib ke liye kuch kiya hai
    ya aap karna chahte hai kaya aapne kabhi aise garib ki madad ki hai jiske paas rahne ko gahr evan pahhnne ko kapda aur kahnde ko ek waqat ki roti bhi nahi hai

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  2. Aapne logo ki prassidhi pane ke kuch tarike bata diye par batye hue tariko mai se ek tarika bhi aapne kabhi prasiddhi pane ke liye use kiya hai nahi na to phir aap doosro ko aise tarike apnane ki salah kaise de sakte hai..........

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  3. dear friend, I congretulates to for your creativity. we hope u will get great succec .
    mayank

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  4. I will hope that your this effort in a poem will find a great success. hope i can found your other poems also

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