शनिवार, 7 जून 2008

अन्य क्षेत्रो की तरह मंत्रिमंडल मैं भी आरक्षण हो !

सरकार ने सभी शासकीय क्षेत्रों मैं आरक्षण देने का प्रावधान कर रखा है और इसे न्यायालय द्वारा ५० प्रतिशत तक की सीमा निर्धारित कर दी है । सभी क्षेत्रों मैं आरक्षण देने की बात और कई जातियों को वोट बैंक के खातिर आरक्षण के दायरे मैं लाने की बात कई राजनैतिक दलों और राजनेताओं द्वारा की जाती है । और तो और आरक्षण के दायरे को बढाकर इसे अशासकीय और निजी संस्थाओं मैं भी आरक्षण देने की भी बात की जा रही है और इसके लिया क़ानून बनाने की जद्दोजहद की जा रही है । किंतु इस आरक्षण के मामले मैं राजनेताओं और राजनैतिक दलों द्वारा पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है । अवसरवादिता के चलते और अपनी कुर्सी गवाने के चलते आरक्षण के दायरे से मंत्रिमंडल , विधान मंडल और संसद को दूर रखा जा रहा है । कभी इस पर आरक्षण की बात नही की जाती है । यंहा तक की आरक्षित वर्ग के राजनेताओं द्वारा भी इसकी मांग नही की जाती है ।
जिस प्रकार शासकीय नौकरियों मैं आरक्षण दिया गया है ठीक उसी प्रकार देश और प्रदेश के मंत्रिमंडल , विधान मंडल और संसद मैं भी आरक्षण दिया जाना चाहिए । आख़िर आरक्षण को इसमे लागू करने मैं पक्षपात पूर्ण रवैया क्यों अपनाया जा रहा है । सिर्फ़ निचले स्तर की संस्थाओं जैसे पंचायत और जनपद पंचायत मैं आरक्षण को लागू करने मैं रूचि दिखाई गई है । क्या उच्च वर्ग के राजनेताओं की यह सोच है की आरक्षित वर्ग के लोग इन पदों की जिम्मेदारियां और कर्तव्यों का निर्वहन नही कर सकते है । जो की बिल्कुल ग़लत है ।
ठीक ऐसे ही महिला आरक्षण को लागू करने मैं इन लोगों द्वारा आनाकानी की जा रही है , क्योंकि इनकी पहले से जमी हुई सीट के ख़त्म होने का खतरा जो है । ठीक वैसे ही ५० प्रतिशत आरक्षण मंत्रिमंडल , विधान मंडल और संसद मैं लागू करने मैं मंडरा रहा है । यंहा तक की कुछ एक राजनैतिक पार्टियों छोड़कर अन्य पार्टियाँ अपने संगठन स्तर के पदों पर आरक्षण को लागू करने मैं गंभीरता नही दिखा रही है ।
अतः आवश्यक है की आरक्षण को देश की सभी संस्थाओं मैं समान रूप से लागू कर सभी को समान रूप से आगे बढ़ने और समुचित अवसर प्राप्त करने का हक़ मिले । यह सुनिश्चित करना सरकार का प्रमुख दायित्व है , और यह तभी सम्भव होगा जब सरकार मैं आरक्षित वर्ग के लोगों को भी बराबरी से अवसर और स्थान मिलेगा ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सहमत
    मंत्रीमंडल में 50 प्रतिशत आरक्षण दलित वर्गो के लिये तब तक होना चाहिये जब तक अन्‍य क्षेत्रो में उनको आरक्षण की आवश्‍यकता है
    हर 5 साल के बाद प्रधानमंत्री दलित जाति का होना चाहिये
    लोकसभा और विधानसभाओ में 50 प्रतिशत दलित और 30 प्रतिशत मुस्लिम कोटा अनिवार्य होना चाहिये

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  2. सामाजिक समानता और न्याय तो यही कहता है कि मंत्री-मंडल में भी आरक्षण होना चाहिए. चुनाव क्षेत्र की तरह प्रधान मंत्री के पद पर भी आरक्षण होना चाहिए.

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