बुधवार, 25 मार्च 2009

प्रधान मंत्री को भी सीधे जनता द्वारा चुना जावे !

सभी पार्टी अपने अपने हिसाब से प्रधान मंत्री पद का दावेदार तय कर रही है । तो कही व्यक्तिगत तौर पर अपने को प्रधान मंत्री के पद का दावेदार बता रहे है । अब इसमे यह बात अलग है की प्रधान मंत्री पद के इन दावेदारों को स्वयम अपनी ही पार्टी मैं कितना एकमत से समर्थन मिला है और तो और उनको जनता कितना पसंद करती है । देश मैं प्रधान मंत्री जनता पर एक थोपे हुए उम्मीदवार के समान होता है । जो कई बार तो सीधे जनता द्वारा चुना हुआ भी नही होता है । कई बार तो ऐसी स्थिती बनती है की प्रधानमन्त्री के लिए कई ऐसे दावेदार का नाम आता है जिसका नाम जनता द्वारा कभी सुना नही जाता है और न ही कोई जाना पहचाना नाम होता है । राजनीतिक मजबूरियों और सरकार चलाने की मजबूरी के चलते ऐसे मैं जनता के सामने एक थोपा हुआ और अकस्मात प्रधानमन्त्री जनता के सामने आता है ।

वर्तमान राजनैतिक परिद्रश्य की बात करें तो देश मैं प्रधान मंत्री पद के दावेदारों मैं तो कई लोकसभा के चुनाव मैं सांसद के लिए भी चुनाव मैदान मैं नही उतर रहे हैं और समय आने पर इन्हे बेक डोर एंट्री से प्रधानमन्त्री पद की अहर्ताओं हेतु आवश्यक संसाधन जुटाएं जाएँ । कई बार तो सरकार गठन और प्रधानमन्त्री घोषित हो जाने के बाद प्रधानमंत्री के पद हेतु आवश्यक अहर्ताओं के पालन मैं संसद का सदस्य बनाए जाने के उद्देश्य से जनता के सामने चुनाव मैदान मैं उतरा जाता है ऐसे मैं उनका जीतना तो तय ही रहता है क्योंकि वे देश के घोषित प्रधानमन्त्री होते है । यह माना जाए की अधिकाँश प्रधानमन्त्री पद के दावेदार सीधे जनता के सामने जाने से बचते है । ऐसे मैं क्या इन्हे जनता की सर्वसम्मति और सहमती से बना हुआ प्रधानमन्त्री माना जा सकता है ।

इन सब बातों को देखते हुए तो जरूरी है की प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार को भी सीधे जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाए । इन उम्मीदवार को देश के सभी मतदाताओं की सहमती और मत प्राप्त करने हेतु आगे आना चाहिए ताकि देश के सभी क्षेत्र की जनता उनको जान सके और एक योग्य और अपने पसंदीदा प्रधानमन्त्री को देश की बागडोर सौप सके । इस प्रकार की व्यवस्था निश्चित रूप से लोकतंत्र को मजबूत करेगी और मील का पत्थर साबित होगी और जनता अपने विश्वस्त और चुने हुए पसंदीदा नायक को देश के प्रधानमंत्री के रूप मैं देख सकेगी ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आइडिया तो बुरा नहीं ... पर कितना खर्च किया जाए चुनावों पर ... पैसों की बर्वादी नहीं होगी ?

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  2. राज्य सभा रुपी ढांचा अब देश के लिए अर्थहीन हो गया है. राज्य सभा में तो बेक डोर बन गया है , जहाँ धन और भाई भतीजावाद का खेल खेला जा रहा है. राज्य सभा की प्रणाली बंद की जानी चाहिए तथा लोक सभा की सीटें बढा देनी चहिये .

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  3. दीपक जी: आप का ईमेल नहीं दिखने की वजह से यह सदेश भेज रहा हूँ. कृपया मुझे अपना ईमेल भेजिए इस पते पर:pedia333@gmail.com ताकि आप से संपर्क कर सकूं.
    www.mifindia.org

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