रविवार, 2 अगस्त 2020

#दोस्ती का ऐसा भी है एक अंदाज ।



न भूख प्यास की याद ,
न स्कूल कॉलेज की क्लास,
दिनभर करते रहते बकवास,
और बोली में ठेट देसी अल्फ़ाज़ ,
यही है #दोस्ती के मस्ती भरे अंदाज ।
दिनभर करते कोई काम नहीं ,
आवारा से फिरते बर्बाद यूं ही ,
छोड़ क्यों नहीं देते साथ भई ,
मिलती घर वालों की डांट यही,
फिर भी #दोस्तों का छूटा नहीं साथ ।

उदासी की हो कोई बात ,
या कहनी हो मन की कोई बात,
कोई समझ नहीं रहा मन के जज्बात,
जो हल्के कर दे मन के कसकसात ,
वो #दोस्त ही है जो समझेगा हालात ।
हो कोई उलझन या विवाद ,
या परेशानी की हो कोई बात,
व्यवस्था बनाने करते दौड़ भाग ,
मुसीबतों में खड़े होते सब साथ ,
#दोस्ती का ऐसा भी है एक अंदाज ।
सभी दोस्तों को समर्पित ।
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए ।

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