गुरुवार, 12 नवंबर 2020

क्योंकि वो तो उधार का है आसमां !

गर पा गए उड़ने का हुनर ,

और पा गए उड़ने का माद्दा ,
न समझ खुद को सितारा ,
न बसा अपना एक अलग जहां ,
लौट इक दिन वापस आना है ,
क्योंकि वो तो उधार का है आसमां ।

उड़ते उड़ते जब थक जाओगे ,
किसी उलझन में उलझ जाओगे ,
मुसीबतों में तब हमदर्द बनकर ,
अपने ही बनेंगे  इक आसरा , 
काम न आएगा सितारों का वो जहां, 
क्योंकि वो तो उधार का है आसमां ।

ख्वाहिशों को अपनी दफनाकर , 
मुसीबतों का पहाड़ उठाकर ,
जो सहूलियतें के पंख देते है लगवा , 
उन अपनों का सितारा बनकर, 
बना अपना ही आसमां  ,
क्योंकि वो तो उधार का है आसमां ।


रविवार, 1 नवंबर 2020

किस #मोड़ पर #मिलेंगे वो

 


हर गली में चलकर देखा , 

वक्त और चाल बदलकर देखा , 

कितनी राह तकेंगे लो ,

किस मोड़ पर मिलेंगे वो ।


कितनी ही ठोकर खाई ,

अपनों से भी हुई रुसवाई ,

दिल डूब रहा अब तो , 

किस मोड़ पर मिलेंगे वो ।


पत्थर दिल भी पिघल जाते हैं,

ढूंढे से भगवान भी मिल जाते हैं,

अब मिल जाओ ज्यादा न बनो  ,

किस मोड़ पर मिलेंगे वो ।


मोड़ नहीं सकते कदमों को ,

छोड़ नहीं सकते सपनों को ,

जलती रहेगी आशा की लौ ,

किसी मोड़ पर मिलेंगे वो ।