सजाने को मेरे देश की धरती ,
कायनात हर रोज उतरती ।
नदियां , झरने और सरोवर ,
निर्मल जल से करते कल कल ,
फसलें सुनहरी हरे भरे वन से ,
देश धरा श्रृंगार है करती
चांद सितारों का उजियारा ,
करते दूर निशा अंधियारा ,
रवि किरणें हर सुबह आकर,
भारत मां के चरण चूमती ।
अलग अलग सब धरम के बंदे ,
ये सब है एक माला के मनके ,
रंग बिरंगे जन गण धन से ,
भारत मां की गोद है भरती ।
धूल धरा माथे में लगाकर ,
हल्दी कुमकुम थाल सजाकर ,
देशभक्ति का दीप जलाकर ,
भारत मां की करें आरती ।
सजाने को मेरे देश की धरती ,
कायनात हर रोज उतरती ।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयां एवं ढेरों शुभकामनाएं ।
जय हिन्द , जय भारत ।
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
धन्यवाद सर । आपको भी गणतंत्र दिवस बहुत शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएं