रविवार, 10 अक्टूबर 2021

हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ।

 

इमेज गूगल साभार 

हे #जगदम्बे मां , अपरंपार #महिमा ,

भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।


तू शक्ति रूपेण, तू ममतामयी ,

तू दुर्गति नाशिनी, तू रक्षा दायिनी,

तेरी शरण सबकी छत्र छाया ।


सच्ची भक्ति , सच्ची श्रद्धा ,

सच्चे मन से करके पूजा ,

तेरे दर पर सब कोई आया ।


दरबार सजा , भक्तों से भरा ,

गूंज रहा माता का जयकारा ,

मां की ज्योति का हर कलश सजा ।


हो जगत कल्याण , भरे धन धान्य ,

हर मनोकामना हो जाये मान्य ,

खुशियों से भर जाये सारी धरा ।


हे जगदम्बे मां , अपरंपार महिमा ,

भर दे सबकी मन्नतों की झोलियां ।


4 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-10-21) को "पाप कहाँ तक गंगा धोये"(चर्चा अंक 4215) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. माँ की स्तुति में लाजवाब सृजन।
    नवरात्रि की शुभकामनाएं।

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  3. आदरणीय सिन्हा मेम,
    मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा "पाप कहाँ तक गंगा धोये"(चर्चा अंक 4215) पर शामिल करने के लिए सादर धन्यवाद एवं आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय सुधा मेम ,
    आपकी प्रतिक्रिया स्वरूप सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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