सोमवार, 25 अक्टूबर 2021

बस इतना सा #फसाना है।



चाहत यह उनकी

बस इतना सा  फसाना  है।  

चाहतों का समंदर है ,

और डूबते ही जाना है । 

 

फूलों की खुशबू भी  ,

अब करती नहीं  दीवाना है ।

उनकी सांसों की खुशबू ही

करे मौसम  सुहाना है । .........  

 

महफिल भी सितारों की ,

अब लगती वीराना है ।

साथ ही उनका अब तो ,

महफिलों का खजाना है ।.........

 

चाँदनी रात का शबाब भी ,

अब दिल  को नहीं गवारा है ।

चमक उनकी आंखे की  ,

दीप दिवाली का नजारा है । .........

 

समंदर से भी गहरा  ,

लगाव यह हमारा  है ।

चाहत अनंत आकाश है  ,

और चाहत ही सरमाया है । .........

 

चाहत यह उनकी

बस इतना सा  फसाना  है।  

चाहतों का समंदर है ,

और डूबते ही जाना है ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय सिन्हा मेम ।
    इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा को "अदालत अन्तरात्मा की.."( चर्चा अंक4228) पर शामिल करने के लिए सादर धन्यवाद और आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय सुधा मेम ,
    आपकी लाजबाब टिप्पणी हेतु सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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