बुधवार, 22 दिसंबर 2021

काली रात का करने शिकार !


सन्नाटा है गली मौहल्लों में ,

बच्चे दुबके है माँ के आंचलों में ,

बड़े बुजुर्ग भी दुबककर बैठे हैं ,

बंद कर अपने घरों के किवाड़ ।


पक्षियों के परों की फड़फड़ाहट ,

पत्तियों में हवाओं की सरसराहट ,

खामोशी में खौफ की महफ़िल सजाते हैं ,

कुत्ते , बिल्ली और जंगली सियार ।


जुगनुओं का काफिला कर तैयार ,

जलते दीपकों की लिये तलवार ,

चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,

काली रात का करने शिकार ।


उतर चला है अंधेरे का खुमार ,

थम रहा है रात का अत्याचार ,

बह रही है धवल रोशनी की धार ,

मिल रहा है सबके दिलों को करार ।


चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,

काली रात का करने शिकार ।

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