रविवार, 22 मई 2022

यूं ही #बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को !

 


गर कहीं कुछ सुलग रहा है ,

तो उसे हवा दो या बुझा दो ।

यूं ही बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को ,

पर उसे उसका सबब बता दो ।


जो राहों में तुम्हारे,

बन बाधा खड़ी है डटकर ,

उस डालकर ठंडा पानी ,

एक बुझी राख बना दो ।


गर सुलग रही है ,

किसी अच्छे काम की ज्वाला बनकर ,

इसे डालकर और घी ,

दहकते शोलों का अंगारा बना दो ।


यूं बेपरवाह न छोड़ो किसी चिंगारी को ,

उसे उसका सबब बता दो ।

गर सुलग रहा है कहीं कुछ ,

तो उसे हवा दो या बुझा दो ।

सोमवार, 9 मई 2022

हाय ये #गुमराह #गरमी !

 

इमेज गूगल साभार 

हाय ये #गुमराह #गरमी ,

न जाने कितना सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने न देती ,

भर #दुपहरिया आग लगायेगी ।


नदी सुखाये तालाब सूखाये,

पेड़ पौधे भी सब मुरझाये,

पशु पक्षी भी दर दर भटके ,

कितना हाहाकार मचायेगी ।


बच्चे बूढ़े सब घर में दुबके ,

कामकाजी रह गये जल भुन के,

तन पसीने से सबके पिघले ,

कितने को बीमार बनाओगी ।


पेड़ पौधों की दी है बली ,

जलस्रोतों की मिटा दी हस्ती ,

सीमेंट कंक्रीट की है होड़ मची ,

तो गरमी ऐसे ही इतरायेगी । 


प्रकृति से गर करें दोस्ती ,

उससे न करें जबरदस्ती,

जब चलेगी तालमेल की कश्ती ,

तो गर्मी भी ठंडी पड़ जायेगी । 


तब ये गुमराह गरमी ,

फिर न किसी को सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने देगी ,

और दुपहरिया में कहीं दुबक जायेगी ।