शनिवार, 26 नवंबर 2022

यूं #तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो !



#नाकामियों पर अपनी ,
यूं #तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो ,
#खामियों से अपनी ,
यूं रिश्तेदारी की रस्म निभाया न करो ।

माना की बड़ा मुश्किल है ,
झांकना खुद के अंदर ,
यहां पसंद है किसे ,
कहलाना हार का सौदागर,
चाहत है गर दिल में ,
कामयाबी भरा हो सफर ,
ऐसे भंवर में कभी ,
खुद को उलझाया तो करो ।

एक ढूंढो हजार मिलेंगे ,
खामियां के भरमाते जाल,
चलते हुये न जाने ,
कैसी कैसी शतरंजी  चाल,
चाहत है गर दिल में ,
बनने की बाजीगर ,
इस शह और मात के खेल में ,
हराने इन्हें आया तो करो ।

गर रखी है खुद में ,
काबिलियत और हुनर ,
धधकने दो ज्वाला ,
जिद और जुनून की अंदर ,
वादा करें खुद से की,
बाकी न रहेगी कोई कसर ,
कभी ऐसे भी जाल जीत का,
जरा बिछाया तो करो । 

नाकामियों पर अपनी ,
यूं तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो ,
खामियों से अपनी ,
यूं रिश्तेदारी की रस्म निभाया न करो ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय यशोदा मेम,
    मेरी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 नवम्बर 2022 को साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय गजेंद्र सर ,
    आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय विमल सर ,
    आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं

Clickhere to comment in hindi