आज फिर उन्हें #सताने का मन करता है ,
आज फिर #रूठ जाने का मन करता है ।
कर दूं बातें उनकी अनसुनी ,
बैठ जाऊं मुंह फेरकर कहीं ,
नजर न आऊं रहकर भी वहीं ,
कुछ देर उनसे खुद को छुपाने का मन करता है ।
कह दूं उन्हें कि है वे नासमझ ,
बातें करते हो बड़ी असहज ,
कई बार तो लगते हो गलत ,
उनके मन को थोड़ा #उलझाने का मन करता है ।
नाराजगी की दिखाऊं इक झलक ,
किसी बात का जवाब दूं कड़क ,
बढ़ा दूं उनके मन की थोड़ी तड़फ ,
कुछ इस तरह से उनको #बहकाने का मन करता है ।
कहीं बात न जाये बिगड़ ,
कहीं वो ही न जा ये अकड़ ,
तो फिर हो जायेगी मुश्किल डगर,
कभी ऐसे इरादों से तौबा कर जाने का मन करता है ।
आज फिर उन्हें सताने का मन करता है ,
आज फिर रूठ जाने का मन करता है ।
****दीपक कुमार भानरे****