शुक्रवार, 24 मार्च 2023

आज फिर उन्हें #सताने का मन करता है !



आज फिर उन्हें #सताने का मन करता है ,

आज फिर  #रूठ जाने का मन करता है ।


कर दूं बातें उनकी अनसुनी ,

बैठ जाऊं मुंह फेरकर कहीं ,

नजर न आऊं रहकर भी वहीं ,

कुछ देर उनसे खुद को छुपाने का मन करता है ।


कह दूं उन्हें कि है वे नासमझ ,

बातें करते हो बड़ी असहज  ,

कई बार तो लगते हो गलत ,

उनके मन को थोड़ा #उलझाने का मन करता है ।


नाराजगी की दिखाऊं इक झलक  ,

किसी बात का जवाब दूं कड़क ,

बढ़ा दूं उनके मन की थोड़ी तड़फ ,

कुछ इस तरह से उनको #बहकाने का मन करता है ।


कहीं बात न जाये बिगड़ ,

कहीं वो ही न जा ये अकड़ ,

तो फिर हो जायेगी मुश्किल डगर,

कभी ऐसे इरादों से तौबा कर जाने का मन करता है ।


आज फिर उन्हें सताने का मन करता है ,

आज फिर  रूठ जाने का मन करता है ।

                     ****दीपक कुमार भानरे****

सोमवार, 13 मार्च 2023

हाय ये .…....!

 


कुछ मार दी ,

कुछ जिंदा रही ,

कुछ आने वाली है ,

हाय ये #ख्वाहिशें ।


जब तक पलती रही ,

जिंदगी सुकून के लिये,

हाथ मलती रही ,

हाय ये #नफरतें ।


मुश्किलों के दौर में ,

शाम में न भोर में ,

कोई न था किसी छोर में ,

बस साथ मेरे खड़ी थी ,

हाय ये मेरी #तन्हाईयां।


बहुत लाचार बनाती है ,

जो न पसंद वो करवाती है ,

भावनाओं को ठेस पहुंचाती है ,

मन ही मन रुलाती है ,

हाय ये #मजबूरियां । 


उम्मीदों पर पानी फेरा ,

निराशा के अंधकार ने घेरा ,

कमियों के जब कान मरोड़ा ,

अनुभव से नया आकाश उकेरा ,

हाय ये #नाकामियां ।


दुर्घटना के आसार बढ़ाती है ,

हवन करते हाथ जलाती है ,

लगता शनि साढ़े साती है ,

मंगल का अमंगल करवाती है ,

हाय ये #लापरवाहियां । 


बारिश की झड़ी थी ,

वो अकेली खड़ी थी ,

कभी बंद होगी ये बारिशें ,

इस बात पर बस अड़ी थी ,

हाय ये #उम्मीदें । 


काम में निखार लाती है ,

आत्मविश्वास बढ़ाती है ,

सफलता के शिखर पहुंचाती है ,

खुशियां भी दिलवाती है ,

हाय ये #खूबियां । 


होठों पर लचक थी ,

चेहरे में चमक थी ,

कुछ पल खुश होने के लिये,

दे रही दस्तक थी ,

हाय ये #मुस्कुराहटें । 

           ***दीपक कुमार भानरे***

शनिवार, 4 मार्च 2023

#मोबाइलबा सरा रा रा.......

 


सब्जी रखी पकाये को ,

चूल्हा दिया जलाये,

जल के सब्जी काली भई,

तू बैठी #मोबाइल चलाये।


बैठे सबके साथ में ,

हाथ मोबाइल सजाये,

#फुरसत कोई एक नहीं,

सब एक दूजे काम बताये।


मोबाइल के चलाये में ,

जै भी समझ न आये,

कुत्ता घुस के घर में

कब खाना दियो जुठाये।


सेल्फी के खिचवाये में ,

चेहरा इतना सजाये, 

कि दर्पणबा में खुद को देख के,

डरे चीख निकल जाये ।


ठोकर खाये मोबाइल संग ,

जै गिरे को चिंता सताये ,

हड्डी चटके कोई गम नहीं,

पर मोबाइल  चटक न जाये ।


मोबाइल की आंधी में ,

सर सारा दियो खपाये,

काम कोड़ी को नहीं ,

पर फुरसत कोई न पाये ।


गाड़ी संग चलाये के ,

मोबाइल में बतीयाये ,

भोंपू सुने न गाड़ी दिखे ,

बस ठोकम ठोकी हो जाये ।


मोबाइल की चैट में ,

सब प्रवचन चेपें जाये,

मानो इस संसार में ,

सब साधु बन आये ।