सोमवार, 13 मार्च 2023

हाय ये .…....!

 


कुछ मार दी ,

कुछ जिंदा रही ,

कुछ आने वाली है ,

हाय ये #ख्वाहिशें ।


जब तक पलती रही ,

जिंदगी सुकून के लिये,

हाथ मलती रही ,

हाय ये #नफरतें ।


मुश्किलों के दौर में ,

शाम में न भोर में ,

कोई न था किसी छोर में ,

बस साथ मेरे खड़ी थी ,

हाय ये मेरी #तन्हाईयां।


बहुत लाचार बनाती है ,

जो न पसंद वो करवाती है ,

भावनाओं को ठेस पहुंचाती है ,

मन ही मन रुलाती है ,

हाय ये #मजबूरियां । 


उम्मीदों पर पानी फेरा ,

निराशा के अंधकार ने घेरा ,

कमियों के जब कान मरोड़ा ,

अनुभव से नया आकाश उकेरा ,

हाय ये #नाकामियां ।


दुर्घटना के आसार बढ़ाती है ,

हवन करते हाथ जलाती है ,

लगता शनि साढ़े साती है ,

मंगल का अमंगल करवाती है ,

हाय ये #लापरवाहियां । 


बारिश की झड़ी थी ,

वो अकेली खड़ी थी ,

कभी बंद होगी ये बारिशें ,

इस बात पर बस अड़ी थी ,

हाय ये #उम्मीदें । 


काम में निखार लाती है ,

आत्मविश्वास बढ़ाती है ,

सफलता के शिखर पहुंचाती है ,

खुशियां भी दिलवाती है ,

हाय ये #खूबियां । 


होठों पर लचक थी ,

चेहरे में चमक थी ,

कुछ पल खुश होने के लिये,

दे रही दस्तक थी ,

हाय ये #मुस्कुराहटें । 

           ***दीपक कुमार भानरे***

4 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 मार्च 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय पम्मी मेम,
      मेरी लिखी इस रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 मार्च 2023 को पाँच लिंकों का आनन्द पर साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद । आभार ।
      सादर ।

      हटाएं
  2. वाह! मजबूरियाँ, नाकामियाँ, मुस्कुराहटों, खूबियों और न जाने किन -किन उम्मीदों से सजी सुंदर रचना !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय अनिता मेम, आपकी सुंदर सी प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

      हटाएं

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