बुधवार, 27 दिसंबर 2023

#बेपरवाह सी , ये #चाहत है ।

समझ है , 

न सजग है ,

इमेज गूगल साभार 

#बेपरवाह सी ,

ये #चाहत है ।


सही है , 

क्या गलत है ,

परिणाम इसका , 

किस करवट है ।


खुश है ,

या आहत है ,

पता नहीं ,

मन की क्या #हालत है ।


ये लत है ,

या आदत है ,

कहता है जमाना ,

ये तो #पागलपन की हद है ।


जरूरत है ,

न मदद है ,

लगता है जमाना ,

हुआ मुझसे अब अलग है ।


न दुश्मन कोई ,

न कोई शुभचिंतक है ,

साथ मेरे वो है ,

या मेरा रब है । 


समझ है ,

न सजग है ,

बेपरवाह सी ,

ये चाहत है ।

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

#सर्द #शाम में एक #चाय !


पत्ती अदरक और थोड़ी चीनी,

पकती आंच में धीमी धीमी

खुशबू भी है भीनी भीनी,

सुकून जरा मन का है छीनी,

#सर्द शाम की ऐसी #चाय है पीनी ।


ऊपर आसमां नीचे जमी थी,

प्याली चाय की हाथों में थमी थी,

पर आंखों में अब भी नमी थी ,

मन में भी एक बर्फ जमी थी,

सर्द शाम में उनकी जो कमी थी ।


शीतल सर्द में यारों की शाम ,

चाय के प्याले हाथों में आम ,

लव खामोश मन भरे उड़ान,

बस आंखों से पहुंचे पैगाम ,

मन के प्याले में उठती उफान ।


लिये चाय का प्याला हाथ ,

बैठे है दो मन को साध ,

सर्द शाम में जली है आग,

ईंधन बने है वो अहसास ,

ढलती शाम संग जो होते राख।