शनिवार, 16 दिसंबर 2023

#सर्द #शाम में एक #चाय !


पत्ती अदरक और थोड़ी चीनी,

पकती आंच में धीमी धीमी

खुशबू भी है भीनी भीनी,

सुकून जरा मन का है छीनी,

#सर्द शाम की ऐसी #चाय है पीनी ।


ऊपर आसमां नीचे जमी थी,

प्याली चाय की हाथों में थमी थी,

पर आंखों में अब भी नमी थी ,

मन में भी एक बर्फ जमी थी,

सर्द शाम में उनकी जो कमी थी ।


शीतल सर्द में यारों की शाम ,

चाय के प्याले हाथों में आम ,

लव खामोश मन भरे उड़ान,

बस आंखों से पहुंचे पैगाम ,

मन के प्याले में उठती उफान ।


लिये चाय का प्याला हाथ ,

बैठे है दो मन को साध ,

सर्द शाम में जली है आग,

ईंधन बने है वो अहसास ,

ढलती शाम संग जो होते राख।

19 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. आदरणीय मेम,
      मेरी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 दिसम्बर 2023 को सम्मिलित करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
      सादर ।

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  2. उत्तर
    1. आदरणीय हरीश सर ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

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  3. वाह! दर्द शाम की लाजवाब चाय, आनंद आ गया।

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    1. आदरणीय मेम ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

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  4. आदरणीय सर ,
    आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

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    1. आदरणीय ओंकार सर ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

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  6. लिये चाय का प्याला हाथ ,

    बैठे है दो मन को साध ,

    सर्द शाम में जली है आग,

    ईंधन बने है वो अहसास ,

    ढलती शाम संग जो होते राख।

    बहुत खूब,कभी चाय पर चर्चा होती है कभी चाय यादें समेटकर लाती है,बहुत ही सुंदर रचना,सादर

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    1. आदरणीय मेम सर ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

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  7. चाय के काल के इर्द गिर्द बुनती कहानी … दो किरदार ख़ुद भी चाय हो गये

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    1. आदरणीय नासवा सर ,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।

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