पत्ती अदरक और थोड़ी चीनी,
पकती आंच में धीमी धीमी
खुशबू भी है भीनी भीनी,
सुकून जरा मन का है छीनी,
#सर्द शाम की ऐसी #चाय है पीनी ।
ऊपर आसमां नीचे जमी थी,
प्याली चाय की हाथों में थमी थी,
पर आंखों में अब भी नमी थी ,
मन में भी एक बर्फ जमी थी,
सर्द शाम में उनकी जो कमी थी ।
शीतल सर्द में यारों की शाम ,
चाय के प्याले हाथों में आम ,
लव खामोश मन भरे उड़ान,
बस आंखों से पहुंचे पैगाम ,
मन के प्याले में उठती उफान ।
लिये चाय का प्याला हाथ ,
बैठे है दो मन को साध ,
सर्द शाम में जली है आग,
ईंधन बने है वो अहसास ,
ढलती शाम संग जो होते राख।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम,
हटाएंमेरी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 दिसम्बर 2023 को सम्मिलित करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
सादर ।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय हरीश सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
वाह! दर्द शाम की लाजवाब चाय, आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर ,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय ओंकार सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
लिये चाय का प्याला हाथ ,
जवाब देंहटाएंबैठे है दो मन को साध ,
सर्द शाम में जली है आग,
ईंधन बने है वो अहसास ,
ढलती शाम संग जो होते राख।
बहुत खूब,कभी चाय पर चर्चा होती है कभी चाय यादें समेटकर लाती है,बहुत ही सुंदर रचना,सादर
आदरणीय मेम सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
चाय के काल के इर्द गिर्द बुनती कहानी … दो किरदार ख़ुद भी चाय हो गये
जवाब देंहटाएंआदरणीय नासवा सर ,
हटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
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wahhhhh!!!
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद ।
हटाएंवाह बहुत सुंदर ☕💙❤️
जवाब देंहटाएंजी, आपकी बहुमूल्य हेतु बहुत धन्यवाद , सादर ।
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