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रविवार, 25 फ़रवरी 2018

आसमान के परदे में जा मिली एक और चांदनी !


रियल लाइफ के अभिनय की ख़त्म कर कहानी ।
आसमान के परदे में जा मिली एक और चांदनी ।
बेशक हर लम्हे हमें उनकी कमी पड़ेगी सहनी ।
कला जगत के लिए यह तो क्षति है अपूरणीय ।
अब तो अभिनय के लिये पर्दा होगा आसमानी ।
जहां संग होंगे बॉलिवुड के कलाकार रूहानी ।
खुदा गवाह है की वे अदाकारा थी बड़ी सयानी।
उनको हम सभी की अर्पित है श्रद्धांजलि भाव भीनी ।

बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

कभी कभी एक 'न' भी .......!


करनी चाहिए मदद अपनों की जरुरत पर हर दफा ।
जरुरी है अपनों की खुशियों का ध्यान रखना सदा ।
पर हर बात पर नही मिलायी जा सकती हाँ में हाँ ।
कभी यही आदत बन जाती है परेशानी भरा जहां।
ये सोचकर कि इंकार न कर जाये अपनों को खफा ।
और ढोते रहते हैं बोझ उस हाँ का बुझे मन से हमेशा ।
बातें जो करे असहज लम्हा , उन्हें करना सीखें मना ।
कभी कभी एक 'न' भी  ,  आसान कर देगी जीना । 

शनिवार, 17 फ़रवरी 2018

यह #जरुरत का #तकाजा है या #जीवन की #मज़बूरी !


चल पड़ता हूँ सफ़र पर एक अजनबी के साथ ,
अपनी मंजिल पर पहुचने के लिए ।
ठहर जाता हूँ एक रात अनजान सराय पर ,
दिन भर की थकान मिटाने के लिए ।
खरीद लाता हूँ सामान नुक्कड़ की दुकान से ,
तुरंत की भूख और प्यास मिटाने के लिए।
पहुच जाता हूँ एक अनजान वैध के पास ,
बीमार और बिगड़ी सेहत सुधरवाने के लिए ।
सौप देता हूँ बच्चों को कुछ अनजान हाथों में ,
पढ़ा लिखाकर भविष्य सवारने के लिए ।
यह जरुरत का तकाजा है या जीवन की मज़बूरी,
अनजान शख्स पर विश्वास करना हो गया जरुरी ।
जो भी हो 'दीप' जीवन के लिए सबका साथ जरुरी ।
इन सबके बिना यह खूबसूरत जिंदगी है अधूरी।

शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

#साहिल पर तो आये #रिश्तों की #कश्तियाँ ।

#साहिल पर तो आये #रिश्तों की #कश्तियाँ ।

यूँ ही अनजाने में जो कर बैठे हैं गुस्ताखियाँ ।
अब तो बढ़ चले हैं  फासले और रूसवाइयां ।
कुछ तो कम हो ये पल पल सताती दुशवारियाँ।
आओ तोड़े अब ये चुप्पी और खामोशियाँ ।
दूर करें ग़लतफ़हमी जो है तेरे मेरे दरमियान ।
न हो सकें सुलह ऐसी तो न होगी मजबूरियां ।
कुछ तुम तो कुछ हम बढ़ें छोड़कर गुमानियां ।
साहिल पर तो आये 'दीप ' ये रिश्तों की कश्तियाँ ।

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

आपसे #अकेले में #बात करनी है !


सपनों के पीछे भागती भीड़ से परे ,
जहां कोई व्याकुल कोलाहल न करे ,
जहाँ कोई सफलता का अभिमान न धरे ,
जहाँ निश्चल मन की मासूमियत न मरे ,
अनुकूल  वातावरण में फैले क्षितिज के तले , 
आपसे अकेले में बातें करनी है !
कभी रोज की दौड़धूप से फांका तो करो ,
सपनों की दुनिया से बाहर  झाँका तो करो ,
मैं क्या चाहती हूँ कभी आँका तो करो ,
कुछ पल साथ बिताने का वादा तो करो ,
अपना सुख दुःख 'दीप' साथ साझा तो करो ,
आपसे अकेले में बात करनी है !

लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...