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इमेज गूगल साभार |
#आराम कहां है जीने में ,
जब #आग लगी हो #सीने में ।
धधकती है #ज्वाला अंदर ,
लेकर #हौसलों का #समंदर ,
हार न माने तब तक ,
कतरा कतरा #खून का ,
बह न जाये #पसीने में ।
पर्वत क्या, पहाड़ क्या ,
दुश्मनों की #दहाड़ क्या ,
#खाक छानेंगे तब तक ,
खप न जाये जिंदगी यह,
#मुश्किलों का #लहू पीने में ।
#सहूलियतों से वास्ता नहीं,
पसंद सीधा साधा रास्ता नहीं ,
तकलीफों से #ताल्लुकात तब तक,
#हौसलों #हुंकार न भरे जब तक,
मंजिलों के चढ़ सीने में ।
आराम कहां है जीने में ,
जब आग लगी हो सीने में ।