हर वक्त जब यूं #मुस्कुराकर चले जाते हो ,
न जाने कितने दिलों की #उलझने बढ़ाते हो ।
ठहरा भी करो कभी पल दो पल,
गुफ्तगू हो जाये कुछ तो अगर ,
मिल जाये दिल को कोई डगर ,
पता नहीं दिलों की सदा को कब समझ पाते हो ।
आवो हवा जमाने कि जो रही है मिल ,
कुछ इस तरह से हो गई है कातिल ,
कि घायल हो रहे है अब तो कई दिल ,
पता नहीं दिलों पर और कितना सितम ढाते हो ।
माना कि मुस्कुराकर मिलना आदत है ,
गम की दुनिया से छेड़ी इक बगावत है ,
पर ये मुस्कुराहट कितनों की बनी चाहत है ,
पता नहीं ऐसी दीवानगी को कितनी और बढ़ाते हो ।
हर वक्त जब यूं मुस्कुराकर चले जाते हो ,
न जाने कितने दिलों की उलझने बढ़ाते हो ।