कायरों सा छिपकर कर रहे आक्रमण ,
कुछ गद्दारों संग पीछे से आकर ।
कंगाली से जिसका भरा है खुनी दामन,
आतंकवाद की जहरीली फसल लगाकर ।
कुछ न कर पायेंगे ये बुजदिल हासिल ,
ऐसी घटिया सी हरकत अपनाकर ।
जब भी शेरों के सामने आया दुश्मन ,
पराजित हुआ है मुंह की खाकर ।
एक एक कर सब पहुचेंगे जहन्नुम ,
कोई न बचेगा शेरों से टकराकर ।
जय हिन्द की सेना ।