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#भीगकर तुमने #बारिश में ,
बूंदों पर एक #अहसान किया |
खुशकिस्मत थी वो बूंदें ,
जिसने था तुम्हें छुआ ।
बहकी #बहकी थी वो बूंदें ,
जिसने तुम्हारे लव को चूमे ,
कुछ #केशों में जा थी अटकी,
जिसने चाहा संगत लंबी ।
जो बूंदें थी नीचे जा गिरी ,
वो अभी तक #मदहोश पड़ी ,
कुछ बाहों में सिमटी सिमटी,
#किस्मत थी अच्छी जिनकी ।
हवा का एक झोंका आया ,
सब बूंदों को होश में लाया ,
बूंदों ने लो तुम्हें किया विदा ,
कहकर #तहदिल से #शुक्रिया ।
भीगकर तुमने बारिश में ,
बूंदों पर जो अहसान किया l
***"दीप"क कुमार भानरे ***