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बुधवार, 30 मार्च 2022

चलो कुछ #देशी पेय अपनायें ।



 जब तन को #गरमी सताये ,

गला तर करने को जब मन चाहे।

शीतलता #सेहतभरी पायें ,

चलो कुछ #देशी पेय अपनायें ।


मीठा गन्ने का रस ,

जिस पर पुदीना और अदरक ।

नींबू पानी मसालेदार ,

खट्टा मीठा स्वाद मजेदार ।

आम पना और आम रस ,

रसभरे फलों की जुगत ।

चिकनाहट भरी लस्सी और छाछ,

एक मीठा , एक नमकीन स्वाद ।


विदेशी पेय को हटाकर ,

देशी पेय को अपनाकर ,

गर्मी और लू से बचाकर ,

सेहत और राहत दोनों पायें।

जो खाते है रोज कमाकर ,

उनके रोजगार को बढ़ाकर ,

आत्म निर्भर उनको बनाकर ,

उनके जीवन में खुशियां लायें ।


जब तन को गरमी सताये ,

गला तर करने को जब मन चाहे।

शीतलता सेहतभरी पायें ,

चलो कुछ #देशी पेय अपनायें ।

गुरुवार, 17 मार्च 2022

#होली में न लेना तुम कोई सेल्फी !

 


#होली में न लेना तुम कोई सेल्फी ,

क्योंकि चाहने वालों पर होगी बड़ी क्रुएल्टी ।

जब सबके सामने होगी रियल्टी ,

तो देखने वाला कहेगा हेल्प मी ।


पता नहीं कौन कौन से लगे होंगे रंग ,

उस पर होगी मस्ती और शरारत की भंग ,

जब लोग रंग #गुलाल लगाकर करेंगे तंग ,

तो कहीं चेहरा न बन जाये डिफॉल्टी ।


केश बिखरे और लग रहे थे उद्दंड ,

परिधान भी थे अस्त व्यस्त और बेढंग ,

इतने चढ़े थे रंग फिर भी रूप बेरंग ,

जो देखे कहीं उसके साथ न हो जाए कैसुअल्टी । 


होली में न लेना तुम कोई सेल्फी ,

क्योंकि चाहने वालों पर होगी बड़ी क्रुएल्टी ।

जब सबके सामने होगी रियल्टी ,

तो देखने वाला कहेगा हेल्प मी ।


होली की ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाइयां । 🙏🏻💐🙏🏻

गुरुवार, 3 मार्च 2022

#मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,अपने ही लोग और #वतन ।

Image google sabhar


हर #मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,

अपने ही लोग और #वतन ।


चाहे कहते रहें देश में ,

भय का है वातावरण ।

चाहे कहते रहें देश में ,

अव्यवस्थाओं का है आलम ।

चाहे कितना ही बुरा भला ,

कहते रहें हैं कुछ हम वतन  ।

पर मुसीबतों में ढाल बन आते,

अपने ही लोग और अपना वतन ।


चाहे विदेशों में जाकर,

उलझ गए है कुछ हमवतन ।

और निकलने का ढूंढ रहे हैं ,

कोई सुरक्षित साधन ।

फिर चाहे कितनी भी ,

परिस्थितियां हो विषम ।

हर मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,

अपने ही लोग और वतन ।


सारे विश्व में देखकर ,

देश का ऐसा दमखम ।

अब तो विदेशी भी थाम रहें हैं ,

हमारे देश का परचम ।

क्योंकि हर मुश्किलों में साथ निभाते ,

चाहे कैसा भी हो मौसम ।

हर पल साथ और अहसास जताते ,

हमारे लोग और हमारा वतन ।

लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...