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सोमवार, 26 दिसंबर 2022

अब #सहन न कर !

 


#दुष्टों की छाती पर चढ़,
टूट पड़ बनकर कहर ,
अब #सहन ना कर ,
कोई तो रूप धर ।

उठा हाथ में खप्पर ,
मां #दुर्गा बनकर ,
ऐसा चला अपना त्रिशूल,
दुष्टों की छाती पर जाये उतर।

#अहिल्या बाई होलकर ,
या #झांसी की रानी बनकर,
उठा हाथ में तलवार ,
दुश्मन का कर प्रतिकार ।

#आत्मरक्षा के गुण से संवार ,
अस्त्र शस्त्र से कर श्रृंगार ,
#वीरांगना का ऐसा रूप धर ,
कि दुष्ट कांपे थर थर ।

#दुष्टों की छाती पर चढ़,
टूट पड़ बनकर कहर ,
अब सहन ना कर ,
कोई तो रूप धर ।

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

निभा अपना वही असली #किरदार !

 

इमेज गूगल साभार 


#दर्पण में देख चेहरा निखारते,

बालों को बार बार कंघी से संवारते ,

किसी शख्सियत की ले शक्ल उधार,

मिलाते उससे अपनी बार बार ।


देता नहीं दर्पण किसी को दगा,

दिखाता वैसा ही जो जैसा था ,

फिर करे कितना ही दर्पण साफ ,

दिखेगा वही जो वास्तव में हो आप ।


देखकर दर्पण हर शख्स यहां ,

छुपाता है दाग और झुर्रियों के निशां,

न दिखे शक्ल पर उम्र का पहरा ,

जामाता है चेहरे पर कई रंगों डेरा । 


सामने दर्पण के कभी खुद को रख ,

अपनी असलियत को जरा परख ,

निभा अपना वही असली #किरदार ,

जैसा  तुझे ईश्वर ने बनाया है यार ।

                  "दीप"क कुमार भानरे#

शनिवार, 3 दिसंबर 2022

चलूं जहां मैं #पांव पांव ।


वो अपनी गली और अपना गांव ।

चलूं  जहां  मैं #पांव पांव ।


गुजरूं मैं गली से तो धूल लगे ,

गर्मी में चटक दोऊ पैर जले ,

बारिश के कीचड़ में सने पांव ।....


जमीं पर बिखरे बेर समेटू ,

अमरूद पर मैं उछल कर पहचूं,

पाने लगाऊं हर एक दांव । ....


मूंगफली जमीं से लूं मैं उखाड़ ,

तोड़ूं चने की मैं खेत से डार,

भूनूं  मैं इनको जला अलाव । ....


धार नदी की पैर से रोकूं,

अंजुली में मछली लाने सोचूं ,

गोरे हो गये भीगे भीगे पांव ।....


पंछी के दल जहां शोर मचायें,

काम से थककर जहां सुस्तायें ,

पेड़ों की ऐसी ठंडी ठंडी छांव ।....


भागदौड़ की ऐसी आंधी आई ,

सब अठखेलियां हुई पराई ,

सपना हुई ऐसी चाहत की नाव । ....


वो अपनी गली और अपना गांव ।

चलूं  जहां मैं पांव पांव ।

शनिवार, 26 नवंबर 2022

यूं #तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो !



#नाकामियों पर अपनी ,
यूं #तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो ,
#खामियों से अपनी ,
यूं रिश्तेदारी की रस्म निभाया न करो ।

माना की बड़ा मुश्किल है ,
झांकना खुद के अंदर ,
यहां पसंद है किसे ,
कहलाना हार का सौदागर,
चाहत है गर दिल में ,
कामयाबी भरा हो सफर ,
ऐसे भंवर में कभी ,
खुद को उलझाया तो करो ।

एक ढूंढो हजार मिलेंगे ,
खामियां के भरमाते जाल,
चलते हुये न जाने ,
कैसी कैसी शतरंजी  चाल,
चाहत है गर दिल में ,
बनने की बाजीगर ,
इस शह और मात के खेल में ,
हराने इन्हें आया तो करो ।

गर रखी है खुद में ,
काबिलियत और हुनर ,
धधकने दो ज्वाला ,
जिद और जुनून की अंदर ,
वादा करें खुद से की,
बाकी न रहेगी कोई कसर ,
कभी ऐसे भी जाल जीत का,
जरा बिछाया तो करो । 

नाकामियों पर अपनी ,
यूं तकदीर की चादर ओढ़ाया न करो ,
खामियों से अपनी ,
यूं रिश्तेदारी की रस्म निभाया न करो ।

शनिवार, 19 नवंबर 2022

काश फिर से आ जाये #श्रद्धा !



अब रही न कोई #श्रद्धा ,

अपने ही परिवार में 

अपने घर और द्वार में ।


अब रही न कोई श्रद्धा ,

संस्कृति और संस्कार में ,

धर्म और अपने त्यौहार में ।


अब खत्म हो गई है श्रद्धा ,

अपने बड़े बुजुर्गों के प्रति ,

अपने माता पिता से अति।


अच्छी नहीं है ऐसी श्रद्धा,

जो करती मनमानी ,

जो अपनों को समझती दुश्मन जानी ।


अब बिखर गई है श्रद्धा ,

टूटकर कई टुकड़ों में ,

फिजाओं के किन्ही कतरों में ।


काश रुक जाती श्रद्धा ,

परिवार से बिछड़ने से ,

उलझनों में उतरने से ।


काश फिर से आ जाये श्रद्धा ,

वही पहला सा रूप धरकर ,

वही अपने पुराने घर पर ।

शनिवार, 12 नवंबर 2022

#आवारा सा #दिल कहीं का ।


#आवारा सा #दिल कहीं का ,

न उम्र देखें न सलीका ,

जहां देखा चेहरा हंसी सा ,

बस हो जाये उसी का ।


न आसमां न जमीं का ,

न ख्याल दुनिया की रस्मों का ,

जब देखें रंग बिरंगी तितलियां ,

बस हो जाये उन्हीं का ।


ये माने न कहना किसी का ,

है खुद की दुनिया का शहंशाह ,

उसे पुकारा जिसने होकर अपना,

बस हो जाये उन्हीं का ।


सोशल मीडिया के दुनिया का,

अब खूब लगा रहा है गोता,

ढेरों लाइक है दोस्तों का ,

सारा जग लगा है अपनों सा ।


आवारा सा दिल कहीं का ,

कहीं खाकर कोई धोखा ,

बिखर न जाये एक सीसा सा,

कहीं हो न जाये दुखी सा ।

मंगलवार, 1 नवंबर 2022

बस अपना #ख्याल रखना ।

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#दिल जा रहा है कहां जरा उसे तो तकिए,
आया है जिस पर जरा उसे तो परखिए ,
गर थोड़ा भी न इस दिल को भाया है ,
थाम कर हाथों से जरा दिल अपना ,
कहें की ए दिल जरा  रुकना ,
बस अपना #ख्याल रखना ।

लगा लिया है गर दिल किसी से ,
नाम उसका सुन दिल झूम उठे खुशी से ,
जिसके लिए सारा आसमान सर पर उठाया है ,
थाम कर हाथों से जरा दिल अपना ,
दिल को कहे जरा धीरे धड़कना ,
बस अपना ख्याल रखना ।

हो गई है गर दिल से दिल की तकरार ,
लगने लगा है  दिल जरा बीमार ,
और दिल के आसमान पर छाया गम का साया है ,
थाम कर हाथों से जरा दिल अपना ,
छोड़ दें उसकी यादों में सिसकना ,
बस अपना ख्याल रखना ।

उलझ गया है जब दिल किसी जाल में
समझ न आए जब कोई रास्ता फिलहाल में ,
दिल के समंदर में तूफान सा उत्पात मचाया है ,
थाम कर हाथों से जरा दिल अपना ,
जोर लगा जरा भंवर से निकलना,
बस अपना ख्याल रखना ।

सोमवार, 24 अक्टूबर 2022

मां लक्ष्मी का ऐसा आशीर्वाद हुआ ।

#अन्धकार सब समाप्त हुआ ,

सब दुखों का नाश हुआ ,

सुख समृद्धि का वास हुआ ,

मां #लक्ष्मी का ऐसा #आशीर्वाद हुआ।


आसान सब काज हुआ ,

जरूरतें अब बची कहां ,

बिन मांगे सब यूं ही मिला ,

मां लक्ष्मी का ऐसा आशीर्वाद हुआ ।


सबने हाथों हाथ लिया ,

सब अपनों का खास हुआ ,

सारा जग मेरे साथ हुआ ,

मां लक्ष्मी का ऐसा आशीर्वाद हुआ ।


वैभव का आकाश छुआ ,

ऐश्वर्य से जीवन खास हुआ ,

खुशियों का प्रकाश हुआ ,

मां लक्ष्मी का ऐसा आशीर्वाद हुआ ।


मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हम सब पर सदा बना रहे ।

शुभ और मंगलमय दीपावली । 

रविवार, 16 अक्टूबर 2022

नज़रें हटे नहीं जरा भी #लक्ष्य से ।

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जुटा कर मन पूरे पक्ष से ,

हर क्षमता और हर दक्ष से ,

जब तक सधे नहीं एक टक से,

नज़रें हटे नहीं जरा भी #लक्ष्य से ।


निकल सुविधाओं के कक्ष से,

बचकर बुरी बातों के पथभ्रष्ट से ,

स्वबल और साहस ले सहस्त्र से ,

हर बाधायें दूर करें अपने लक्ष्य से ।


स्थितियां का सामना हो समझ से ,

कितनी कठिनाइयां हो या कष्ट से ,

होकर दूर गलतफहमियां और गफलत से ,

रखें अटकायें आंखें अपने लक्ष्य से । 


गर झुका कर सर बड़ी अदब से ,

झोंक दी ताकत अपनी तरफ से ,

देगी सृष्टि भी साथ सारी शिद्दत से ,

#सफलता सजाएगी सेहरा लक्ष्य से ।

सोमवार, 3 अक्टूबर 2022

रावण को जब आग लगाई !

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किसी को था यह नहीं पसंद ,

कि बुराइयां जिये और दिन चंद ,

सबने उसका एक पुतला बनाया ,

रावण का उसको रूप धराया ,

सब एकत्रित हुये एक रात ,

वह थी दशहरा के दिन की बात ।


अच्छाइयां रूप धरकर आई ,

राम लक्ष्मण बन दो भाई ,

लेकर हाथ में धनुष बाण ,

बाणों का कर अनुसंधान ,

रावण को जब आग लगाई ,

धूं धूं कर जल गई बुराई ।


गूंजा राम लक्ष्मण का जयकारा ,

रावण को तो खूब लताड़ा ,

हां यूं अच्छाई की जीत हुई ,

और बुराईयों ने दुर्गति सही,

सबके मन में खुशी समाई ,

सबने कहा खत्म हुई बुराई ।


💐💐दशहरा के पावन पर्व की 

अनेकों शुभ और मंगलकारी बधाइयां । 💐💐

💐🙏जय माता दी , जय #सियारामजी की 🙏💐

रविवार, 25 सितंबर 2022

#पल पल की यह खूबी है ।

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पल पल की यह खूबी है ,

जिसमें चल रही सांसे बखूबी है ,

मिल रही जीवन को गति भी है ,

और साथ हर पल #प्रभुजी भी है ।


पल पल की यह खूबी है ,

आंखें बंद और खुली भी है ,

जिससे सृष्टि देख खुशी भी है ,

जो प्रभु जी ने रची भी है ।


हर पल की यह खूबी है ,

वर्तमान भविष्य की पूंजी है ,

गर बूंद बूंद उपयोग की भीi  है ,

तो प्रभु भी हर पल सहयोगी है ।


पल पल की यह खूबी है ,

गर संयम और समझ की सूझी है ,

तो मुश्किलों की हर नैया डूबी है ,

और प्रभु का  साथ बखूबी है ।


पल पल की यह खूबी है ,

जीने की मिली खुश नसीबी है ,

बीते पल पल हंसी खुशी भी है ,

जो प्रभु कृपा बारिश से भीगी है ।

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

अब शेरों का है ठिकाना , और शेरों सा है सुर ।


गया वो जमाना ,

जब लोग करते थे फुर्र,

और हर बात के लिये,

शांति के थे सुर ।


अब भारत शेरों का है ठिकाना ,

और  शेरों सा है सुर ।


देश के अंदर भी ,

और देश के बाहर भी ,

अब दुश्मनों के होश ,

हो गये हैं काफूर।


गर कोई आंख दिखाये,

या भिड़ने को है आतुर ,

शेरों की तरह अब भारत ,

दहाड़ता है करता है गुर्र।


चाहे कोई भ्रष्टाचारी है ,

या है देश विरोधी असुर,

करने सर्वनाश इनका तत्पर ,

मेरा भारत शेर बहादुर ।


अब देश शेरों का है ठिकाना ,

और इसका शेरों सा है सुर ।

रविवार, 11 सितंबर 2022

हां दिखने लगे हैं ऐब !

 

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करते हो कितना #फरेब ,

बातों ही बातों में ,

दिखने लगे हैं #ऐब ,

हर एक #मुलाकातों में ।

 

करते हो तीखा वार ,

आँखों ही आँखों में ,

लगने लगते हो यार ,

कुछ पल के तमाशों में ।

 

नींदों में होती तकरार ,

ख्वाबों ही  ख्वाबों में ,

यादों में रहते सवार ,

दिन और रातों में ।

 

होता नही खत्म ,

सिलसिला तलाशों में ,

कि कब मिलेगा वक्त ,

एक और नयी मुलाकातों में ।

 

उलझ गया है सुकून अब ,

इन चाहतों की सलाखों में ,

है उनकी बातों की ही गूंज ,

इस दिल के इलाकों में ।

 

लगने लगा है  फरेब ,

जो आज है इन हालातों में ,

हां दिखने लगे हैं ऐब ,

उलझ कर इन बिसातों में ।

सोमवार, 5 सितंबर 2022

गुरु देते जीवन संवार ।


एक नन्हा मासूम ,

जो जानता नहीं ,

बाहरी दुनिया के कायदे कानून,

अभी तो सीखा है चलना ,

अभी छूटा कहां मचलना ,

इतना भी रहता नहीं होश,

कि कब जाना है शौच ,

जलाने को ज्ञान का दीप,

गुरु को देते हैं सौंप ।


एक किशोर अवस्था ,

उलझनों भरी व्यवस्था,

दिमाग में घूमें कितने प्रश्न ,

शरीर में परिवर्तन ,

विपरीत आकर्षण ,

जिज्ञासों का नहीं शमन,

मिलती राहों में  फिसलन ,

तब संयम समझ की राह दिखाकर,

गुरु करते मार्गदर्शन ।


एक युवा मन ,

चाहते उड़ने को मुक्त गगन ,

कुछ भी करने को अमादा ,

चाहते नहीं कोई बंधन ,

ऊर्जा उत्साह होता अपार ,

पर दिखाई न देता आर और पार,

तब प्रतिभा को देकर धार ,

गुरु देते जीवन संवार ।


एक उम्र दराज ,

कितनी जिम्मेदारियां और काज ,

शरीर का होता विघटन,

शांत नहीं चित और मन ,

जरूरतों का बढ़ता दामन ,

जिसके लिए जुटाना संसाधन ,

जब पाते गुरु जी की शरण ,

मिलता सब बातों का निराकरण ।


सभी आदरणीय गुरुओं को समर्पित ।

शिक्षक दिवस की बहुत शुभकामनाएं ।

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

मैं #रचनाओं को अपनी !

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मैं #रचनाओं को अपनी,

एक #तमाशा बनाता हूं ।

मचलती हुई मीडिया की,

दरों दीवार पर चिपकाता हूं।


कभी लिखकर यूं ही ,

एक #ब्लॉग बनाता हूं ,

तो कभी गाकर इनको ,

#पॉडकास्ट में सुनाता हूं ।


शेयर कर देता हूं कई बार ,

दोस्तों के वाट्स अप ग्रुप में,

तो कभी फेसबुक को भी ,

प्रदर्शन का ठिकाना बनाता हूं 


डाल देता हूं बनाकर वीडियो

यूट्यूब के अपने चैनल में ,

तो ट्विटर, इंस्टा और कू भी ,

कई बार आजमाता हूं ।


वो तो भला हो सभी  ,

ब्लॉग चर्चा मंचों का ,

जिसमें रचनाओं के लिये अपनी ,

एक स्थान पाता हूं । 


मैं #रचनाओं को अपनी,

एक #तमाशा बनाता हूं ।

मचलती हुई #मीडिया की,

दरों दीवार पर चिपकाता हूं।

गुरुवार, 18 अगस्त 2022

#कान्हा ने अवतार लियो !

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#कान्हा ने  अवतार लियो,

#वासुदेव देवकी ने जन्मदियो ,

नंद #यशोदा ने लालन कियो,

बाल लीलाओं से अपनी

#गोकुल का मन मोह लियो।


#कन्हैया ने माखन खाया ,

बाल सखा संग धूम मचाया ,

कालिया नाग का मर्दन कर ,

यमुना जी को मुक्त कराया ।


#मोहन ने जब बांसुरी बजाई ,

गोपियों संग रास रचाई ,

सुध बुध सबकी बिसराई ,

दौड़े दौड़े राधा जी आई ।


#श्रीकृष्ण जब पहुंचे रणक्षेत्र ,

अर्जुन को दिया गीता उपदेश ,

सत्य और धर्म के रक्षार्थ ,

अपना पराया कुछ न देख । 


#केशव ने शस्त्र उठाया ,

पापियों से धरती मुक्त कराया,

शिशुपाल, कंश का करके बध,

धर्म ध्वजा लोकहित में फहराया । 


हाथी घोड़ा पाल की जय कन्हैया लाल की ।

श्रीकृष्णा #जन्माष्टमी की बहुत बधाइयां एवम शुभकामनाएं ।

जय श्रीकृष्णा। 

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

लहराया तिरंगा घर घर पर ।

 

शान से निखर कर ,

दिल और जिगर पर,

वक्त के हर प्रहर पर ,

जैसे छत्र छाया मेरे सर पर ,

लहराया तिरंगा मेरे घर पर

 

हवाओं की हर गुजर पर ,

समंदर की हर लहर पर ,

पर्वतों के हर शिखर पर ,

जैसे चंद तारे आसमां के जिगर पर ,

तिरंगा लहराया देश के घर घर पर

 

देशप्रेम की अगन पर ,

न्यौछावर सब वतन पर ,

 भारतमाता को नमन कर ,

अमृतमहोत्सव के मनन पर ,

लहराया तिरंगा हर सदन पर

 

जय हिन्द , जय भारत ।

शनिवार, 6 अगस्त 2022

#उलझा उलझा सा हर आदमी है यहां !

#उलझा उलझा सा  हर आदमी है यहां ,

कभी जीता है जंग, तो खेल है बिगड़ा ।


गर कमजोर पड़े थोड़ा सा भी  जरा ,

पल में बदल जाता है खेल का कायदा ।

कब किसका पड़ जाये भारी पलड़ा ,

कब  निकल जाये कौन किससे है मिला ।


छुपे  है कितने जो गिराने को है अमादा ,

जो संभाले, उंगलियों में जा सकता है गिना।

होता है फूंक फूंककर कदमों का चलना,

पता नहीं कौन सी चाल पर बारूद है बिछा ।


यह समझ संभलकर चलने का सलीका है ,

या ऊपरवाला भी है कुछ तो ऊपर मेहरबां ।

जहां टला है जीवन से कोई न कोई हादसा   ,

और मुसीबतों को मिली है मात बकायदा ।


बस चल रही  है जीवन की यूं ही नौका ,

पार कर  मुसीबतों को आहिस्ता आहिस्ता,

उलझा उलझा सा तो ही हर आदमी यहां ,

कभी जीता है जंग तो खेल है बिगड़ा ।

शनिवार, 30 जुलाई 2022

यूं ही #दिल चुराने वाले !

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#मासूम #अदाओं से,

यूं ही दिल चुराने वाले ,

कभी करते  बैचेन हो ,

तो कभी बनते #उम्मीदों के उजाले ।

 

चाहत किसे नहीं  ,

बन जाये अपना कोई ,

मिल जाये सुकून दिलों का

और नींद रातों की चुरा ले ।

 

जतन पर जतन करते हैं ,

हर राह उनकी चुनते हैं ,  

की कभी तो हो जायें,

उनकी नजरों के हवाले ।

 

बहुत हुआ अब ,

काश कह दूँ सब अब  ,

पर सामने होते है वे जब,

खुलते नहीं लवों के ताले ।

 

चाहत का क्या है ,

हो सकता एक तरफा है ,

जरूरी  नहीं उधर भी यही रजा है ,

फिर भी रखे हैं  दामन उम्मीद का संभाले ।

 

मासूम अदाओं से अपनी,

यूं ही दिलों को चुराने वाले ,

कभी करते बैचेन ,

तो कभी  बनते उम्मीदों के उजाले ।

शनिवार, 23 जुलाई 2022

#मुश्किलें भी नहीं है कम !

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#मुश्किलें भी नहीं है कम,

वैसे भी इस जमाने में ।

पीछे नहीं रहते है फिर भी,

कुछ अलग #अनुचित #आजमाने में ।


नदी नाले उफान पर ,

पानी भरा कई स्थान पर ,

कहीं खतरे के निशान पर ,

कहीं बन आई जान पर ,

फिर भी उठाते जोखिम भरा कदम ,

लगाकर दांव जीवन का ,

सेल्फी खिंचवाने में । 


प्रदूषित है वातावरण ,

पस्त है श्वसन तंत्र ,

हर उत्पादों में है रसायन ,

स्वास्थ का हो रहा है क्षरण,

फिर भी करते हैं सेवन ,

#शराब , #तंबाकू और #धूम्रपान,

गम या खुशी मनाने में ।


बेतरतीब है #आवागमन ,

#दुर्घटनाओं को मिल रहा आमंत्रण,

सड़कों  पर है अतिक्रमण ,

जगह भी बची है बहुत कम ,

फिर भी लोगों को आता है आनंद ,

हवा से बातें कर ,

वाहन तेज #रफ्तार चलाने में ।


सीखने को है अथाह #ज्ञानधन ,

#जिम्मेदारियां भी नहीं है कम,

अवसरों का भी करना है दोहन ,

एक जीवन भी पड़ जाये कम,

फिर भी व्यस्त है युवा जन ,

मोबाइल , टी वी और यूं ही घूमकर ,

व्यर्थ समय #गंवाने में ।


धैर्य भी हो रहा है कम ,

जल्द पाना चाहते है हर फन,

मेहनत भी चाहते हैं कम ,

और आसान हो जाये यह जीवन ,

अपनाकर रास्ते लघु

और तरीके अनुचित  ,

फंस जाते है किसी दलदल खाने में ।


गर हो जाये तैयार मन से ,

मेहनत और संयम को आजमाने में ,

तो हो जाये मुश्किलें कम ,

इस उम्मीदों से भरे जमाने में ।

रविवार, 17 जुलाई 2022

#बारिश की कुछ #बूंदें !

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#गर्मी के चेहरे में एक शिकन थी ,

जब #बारिश ने तपन कुछ कम की ,

मिट्टी की भी तासीर जरा नम थी ,

और छलकी #खुशी #ईश्वर के  रहम की ।


जगह नहीं बची है थमने,

राह भी रोक ली अतिक्रमण ने,

#बारिश का भी इस धरा में बसेरा है,

जिसे ढूंढ रही है अब हर घर आंगन में ।


#बारिश को न मिले बदनामी का वार ।

इसलिए एक गुजारिश है  यार ,

जब पानी ज्यादा हो या हो बाढ़,

न खिलवाड़ करो , न करो पार ।


बरसने दो #बारिश को बिंदास ,

थोड़ी सी असुविधा के कारण ,

बुरा भला न कहो अकारण ,

बुझने दो #धरती मां की #प्यास ।


भरी गर्मी जब तपती है ,

बाद  बदली बरसती है ,

प्रकृति कुछ नया रचती है ,

और  एक नई दुनिया बसती है ।

शनिवार, 9 जुलाई 2022

निकलने लगे हैं #चादरों से पांव ए जिंदगी ।

चल रही जरूरतें हर रोज,

एक नया दांव ए #जिंदगी ।

निकलने लगे हैं #चादरों से,

अब ये #पांव ए जिंदगी ।


देखकर जिंदगी औरों की ,

हसरतें अपनी किया खड़ा ,

कभी झांसें में आकार बाजारों के ,

कुछ और खरीदा बेवजह ,

यूं बढ़कर हो गई हसरतें,

बेपनाह ए जिंदगी ।....


पसंद अपनी है अपना नजरिया है ,

मुताबिक उसके ही सब इकट्ठा किया है ,

फिर भी कमी सी दिल में खलती है ,

अभी और मिले ऐसी तमन्ना मचलती है,

थम नहीं रही चाहतों की ,

ये नाव ए जिंदगी ।....


काश भर जाये दिल उस पर

अब तक जो मिला ,

जरूरत से ज्यादा हसरतों को

न मिले दाखिला ,

फिर आयेगा क्यों न दायरों में 

ये पांव ए जिंदगी ।....


चल रही जरूरतें हर रोज,

एक नया दांव ए जिंदगी ।

निकलने लगे हैं चादरों से,

अब ये पांव ए जिंदगी ।

मंगलवार, 5 जुलाई 2022

बहकी बहकी सी बारिश है !

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 बहकी बहकी सी बारिश है ,

हवाओं से मिल की साज़िश है ,

दरवाजे खटखटाती शोर मचाती,

फुहारों संग घर में घुस आती ,

फर्श फिसलन भरा बनाती है ,

न जाने कौन सी निभाती रंजिश है ।........


बहकी बहकी सी बारिश है ,

बिजली गिरा की आतिश है ,

बादलों से धमाके करवाती ,

सबके दिलों को दहलाती ,

डरे सहमे  सब घर में बैठे ,

न जाने क्यों ऐसी की जिद है ।.........


बहकी बहकी सी बारिश है ,

दिल को बनाया लावारिश है ,

नाच रहे बस तन को भिगो के ,

चाहे जमाना कुछ भी सोचे ,

मस्ती में नाचे मन का मोर ,

जैसे प्रकृति का मादक आशीष है ।


बहकी बहकी सी बारिश है ,

कहीं गिरी तो कहीं खारिज है ,

कहीं तो जलजला ले आती ,

कहीं बूंद बूंद को तरसाती ,

ऐसी मदहोशी हो कमजोर,

सबको मिले सम बारिश है ,

है ईश्वर से यही  गुजारिश है ।

शनिवार, 25 जून 2022

चाहे #महाभारत हो या #रामायण ।

 


जब स्वार्थ का बादल हो घनघोर ,

जब अपने ही साथ रहे हो छोड़ ,

तब अपना अधिकार पाने के लिए ,

धर्म और कर्तव्य निभाने के लिए ,

भगवान को भी करना पड़ा पलायन ,

चाहे #महाभारत हो या #रामायण ।


सबको होता है दुख और रंज ,

चाहे वो राजा हो या रंक ,

पर अपना वचन निभाने के लिए ,

बड़ों की आज्ञा सर सजाने के लिए ,

भगवान भी भटके हैं वन वन ,

चाहे महाभारत हो या रामायण ।


सबको होता है अपने से मोह ,

कोई न चाहे अपनों से बिछोह ,

वैभव और ऐश्वर्य पाने के लिए ,

महत्वकांछा को फलीभूत कराने के लिए ,

अधर्म और असत्य से करते सृजन,

चाहे महाभारत हो या रामायण । 


जब अत्याचार बढ़ जाए सघन ,

धर्म और न्याय का फूलने लगे दम ,

अत्याचारी को सबक सिखाने के लिए ,

विधर्मियों को सजा दिलाने के लिए ,

भगवान को भी करना पड़ा रण ,

चाहे महाभारत हो या रामायण । 

बुधवार, 15 जून 2022

थाम लिया है तेरा ही #दामन !

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थाम लिया है तेरा ही #दामन ,

छोड़कर अपनी गलियां घर आंगन ।

अब  न पतझड़ न कोई सावन ,

हर वक्त है तेरी चाहत का मौसम ।


तू ही है अब मेरी तमन्ना ,

तुझे सोचकर हर आहें भरना ,

तेरे जिक्र से दिल का मचलना ,

मेरी हर सांसें है तुझको ही समर्पण ।


रात दिन का अब अहसास नहीं ,

तेरी यादों के सिवा कुछ पास नहीं ,

भूल जाऊं तुम्हें ऐसे कोई कयास नहीं ,

चाहे हो जाये अब सबकुछ अर्पण ।


न तुझे पता न मुझे मालूम ,

कैसे चढ़ा ये चाहत का जुनून ,

मुझे तो बस है इतना सुकून ,

कि एक ही है दो दिलों की धड़कन । 


थाम लिया है तेरा ही #दामन ,

छोड़कर अपनी गलियां घर आंगन ।

अब  न पतझड़ न कोई सावन ,

हर वक्त है तेरी चाहत का मौसम ।

गुरुवार, 9 जून 2022

#इरादा समंदर सा गहरा है ।

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 #समन्दर तो गहरा है ,

पर #साहिल का पहरा है ।

पर न वो मायूस है ,

और न गमों के तूफानों ने घेरा है ।

हवाओं के मन्द झोकों से ,

झूमकर मस्ती में लहरा है ।


#नदियां तो बहती है ,

हर बाधायें सहती है ।

पर न रोके से रुकी है , 

न जंगल पहाड़ में अटकी ।

समन्दर से जा मिलने का ,

मन में इरादा जो ठहरा है ।


ये #दुनिया तो चलती है ,

कभी न रुकती है ।

न ही मुसीबतों के छलकते पैमाने से , 

और न ही किसी के आने जाने से ।

नदियों सा बहते जाने का,

इरादा समंदर सा गहरा  है । 

बुधवार, 1 जून 2022

आप तो बड़े #माहिर हो !

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आप तो बड़े #माहिर हो ,

#दिल चुराने में ।

बातों ही बातों में ,

अपना बनाने में ।


कभी आंखों से आंखों में ,

करके बातें ।

कभी मुस्कान पर मेरी ,

ग़ज़ल बनाकर ।

दिलों की महफ़िल सजाने में ।.......


प्रोफाइल पिक पर ,

तारीफों के कमेंट लगाकर ।

वाट्सअप चेट को सुबहों  शाम ,

सुन्दर शब्दों से सजाकर ।

सोशल मीडिया से लुभाने में ।.........


हमदर्दी के दो बोल से,

दर्दे गम घटाकर ।

हौसले भरे शब्दों से ,

लडने का हुनर सिखाकर ।

जीवन को नये रंग से सजाने में ।............


आप तो बड़े माहिर हो ,

दिल चुराने में ।

बातों ही बातों में ,

अपना बनाने में ।

रविवार, 22 मई 2022

यूं ही #बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को !

 


गर कहीं कुछ सुलग रहा है ,

तो उसे हवा दो या बुझा दो ।

यूं ही बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को ,

पर उसे उसका सबब बता दो ।


जो राहों में तुम्हारे,

बन बाधा खड़ी है डटकर ,

उस डालकर ठंडा पानी ,

एक बुझी राख बना दो ।


गर सुलग रही है ,

किसी अच्छे काम की ज्वाला बनकर ,

इसे डालकर और घी ,

दहकते शोलों का अंगारा बना दो ।


यूं बेपरवाह न छोड़ो किसी चिंगारी को ,

उसे उसका सबब बता दो ।

गर सुलग रहा है कहीं कुछ ,

तो उसे हवा दो या बुझा दो ।

सोमवार, 9 मई 2022

हाय ये #गुमराह #गरमी !

 

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हाय ये #गुमराह #गरमी ,

न जाने कितना सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने न देती ,

भर #दुपहरिया आग लगायेगी ।


नदी सुखाये तालाब सूखाये,

पेड़ पौधे भी सब मुरझाये,

पशु पक्षी भी दर दर भटके ,

कितना हाहाकार मचायेगी ।


बच्चे बूढ़े सब घर में दुबके ,

कामकाजी रह गये जल भुन के,

तन पसीने से सबके पिघले ,

कितने को बीमार बनाओगी ।


पेड़ पौधों की दी है बली ,

जलस्रोतों की मिटा दी हस्ती ,

सीमेंट कंक्रीट की है होड़ मची ,

तो गरमी ऐसे ही इतरायेगी । 


प्रकृति से गर करें दोस्ती ,

उससे न करें जबरदस्ती,

जब चलेगी तालमेल की कश्ती ,

तो गर्मी भी ठंडी पड़ जायेगी । 


तब ये गुमराह गरमी ,

फिर न किसी को सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने देगी ,

और दुपहरिया में कहीं दुबक जायेगी ।

शनिवार, 30 अप्रैल 2022

बस इतना ही किया करते हैं !

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इन दो #आंखों से ,

बस इतना ही किया करते हैं ,

जितना दिल किया,

उनका #दीदार किया करते हैं ।


वो  रोक तो  सकते नहीं हैं ,

चाहे देखा करें उनके ही सपने हैं,

या दीदार करें उनके ही कितने हैं,

जितना है बस में  देख उतना,

दिल को तसल्ली से भरा करते हैं । 


वो हमें भले ही  देखा न करें ,

हो हम अभी उनके मन से परे,

हो सकता है हम नजरों में उनकी खलते हैं ,

पर जब भी वो सामने आते हैं,

उनकी नजरों से हम तो उलझा किया करते हैं ।


आयेगा एक दिन ऐसा  काश ,

जब वो होंगे सदा मेरे पास ,

ऐसे खयाल अब दिल में मचलते हैं ,

दीप इन ख्वाहिशों के जला,

अब तो दिन रात लिये फिरते हैं । 


इन दो आंखों से ,

बस इतना ही किया करते हैं ,

जितना दिल किया,

उनका दीदार किया करते हैं ।

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

#दीवारों में दरार है !


#दीवारों में दरार है ,

दिखता आर पार है ,

झांकती बाहर तकरार है ,

तो बाहरी दखल के आसार है । 


दीवारों में दरार है ,

बनती अख़बार है ,

घर की हर घटनायें ,

हो जाती समाचार है ।


दीवारों में दरार है ,

फिर कहां करार है ,

न खुशियों से दीदार है ,

न आपस में सद व्यवहार है । 


दीवारों में दरार है ,

गर भर जाये एक बार है ,

फिर बाहरी दखल फरार है ,

और सुलह के आसार है । 

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

हसरतों की हवा चली !


 #हसरतों की हवा चली ,
मन में एक आशा पली ,
#हौसलों ने हुकार भरी ,
कदमों ने वह डगर पकड़ी ,
जिसमें #मंजिल थी खड़ी ।

परिस्थितियों ने कुछ चाल चली ,
मौसम ने भी मुसीबत की खड़ी ,
जमाने ने की #जंजीरें थी खड़ी ,
#मुश्किलों की हर मार सही ,
पर हिम्मत गिर गिर उठी ,
मंजिल भी कुछ मेरी तरफ बढ़ी ।

अब पक्ष में घटनाऐं थी घटित ,
#चुनौतियां भी आत्मसमर्पित ,
संदेह मात्र नहीं था किंचित ,
हौसले भी अब है हर्षित ,
मंजिल अब न रही अविजित ।

मंजिल अब साथ है खड़ी ,
कदमों की डगर अब है थमी ,
हौसलों की हुंकार भी थमी ,
मन की भी आशा है फली ,
हसरतें भी है हंसी हंसी ।

बुधवार, 30 मार्च 2022

चलो कुछ #देशी पेय अपनायें ।



 जब तन को #गरमी सताये ,

गला तर करने को जब मन चाहे।

शीतलता #सेहतभरी पायें ,

चलो कुछ #देशी पेय अपनायें ।


मीठा गन्ने का रस ,

जिस पर पुदीना और अदरक ।

नींबू पानी मसालेदार ,

खट्टा मीठा स्वाद मजेदार ।

आम पना और आम रस ,

रसभरे फलों की जुगत ।

चिकनाहट भरी लस्सी और छाछ,

एक मीठा , एक नमकीन स्वाद ।


विदेशी पेय को हटाकर ,

देशी पेय को अपनाकर ,

गर्मी और लू से बचाकर ,

सेहत और राहत दोनों पायें।

जो खाते है रोज कमाकर ,

उनके रोजगार को बढ़ाकर ,

आत्म निर्भर उनको बनाकर ,

उनके जीवन में खुशियां लायें ।


जब तन को गरमी सताये ,

गला तर करने को जब मन चाहे।

शीतलता सेहतभरी पायें ,

चलो कुछ #देशी पेय अपनायें ।

गुरुवार, 17 मार्च 2022

#होली में न लेना तुम कोई सेल्फी !

 


#होली में न लेना तुम कोई सेल्फी ,

क्योंकि चाहने वालों पर होगी बड़ी क्रुएल्टी ।

जब सबके सामने होगी रियल्टी ,

तो देखने वाला कहेगा हेल्प मी ।


पता नहीं कौन कौन से लगे होंगे रंग ,

उस पर होगी मस्ती और शरारत की भंग ,

जब लोग रंग #गुलाल लगाकर करेंगे तंग ,

तो कहीं चेहरा न बन जाये डिफॉल्टी ।


केश बिखरे और लग रहे थे उद्दंड ,

परिधान भी थे अस्त व्यस्त और बेढंग ,

इतने चढ़े थे रंग फिर भी रूप बेरंग ,

जो देखे कहीं उसके साथ न हो जाए कैसुअल्टी । 


होली में न लेना तुम कोई सेल्फी ,

क्योंकि चाहने वालों पर होगी बड़ी क्रुएल्टी ।

जब सबके सामने होगी रियल्टी ,

तो देखने वाला कहेगा हेल्प मी ।


होली की ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाइयां । 🙏🏻💐🙏🏻

गुरुवार, 3 मार्च 2022

#मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,अपने ही लोग और #वतन ।

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हर #मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,

अपने ही लोग और #वतन ।


चाहे कहते रहें देश में ,

भय का है वातावरण ।

चाहे कहते रहें देश में ,

अव्यवस्थाओं का है आलम ।

चाहे कितना ही बुरा भला ,

कहते रहें हैं कुछ हम वतन  ।

पर मुसीबतों में ढाल बन आते,

अपने ही लोग और अपना वतन ।


चाहे विदेशों में जाकर,

उलझ गए है कुछ हमवतन ।

और निकलने का ढूंढ रहे हैं ,

कोई सुरक्षित साधन ।

फिर चाहे कितनी भी ,

परिस्थितियां हो विषम ।

हर मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,

अपने ही लोग और वतन ।


सारे विश्व में देखकर ,

देश का ऐसा दमखम ।

अब तो विदेशी भी थाम रहें हैं ,

हमारे देश का परचम ।

क्योंकि हर मुश्किलों में साथ निभाते ,

चाहे कैसा भी हो मौसम ।

हर पल साथ और अहसास जताते ,

हमारे लोग और हमारा वतन ।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

यूं न दिखाया करो जमाने को अपने #जख्म !

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यूं न दिखाया करो यहां ,

जमाने को अपने जख्म ।

होता है नमक हाथों में ,

पर पास होता नहीं मरहम


सामने तो बनते हैं हमदर्द ,

पर पीछे पीठ कुरेदते हैं जख्म ।

जख्म तो सहलाते नहीं है ,

पर बढ़ा जाते हैं दर्दे गम ।


साथ खड़े रहने का तो यहां ,

जमाना यूं ही निभाता रसम ।

मुश्किलों में जो ढाल बन जाये ,

वो लोग होते हैं बहुत कम ।


खुद ही उलझना पड़ता यहां ,

हालात कितने भी ढाये सितम ।

हर हमराही हमदर्द  होता है,

मन से निकाले यह वहम ।


यूं न दिखाया करो यहां ,

जमाने को अपने जख्म ।

होता है नमक हाथों में ,

पर पास होता नहीं मरहम ।

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

वो #मशहूर कर गए !

 

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वो #मशहूर कर गए ,

मुझे #बदनाम करते करते ।

यूं जुबान पर चढ़ गए ,

उनके हर जिक्र में पलते पलते ।


एक सुकून सा पाते हैं वो ,

जब करते हैं बुराई मेरे नाम की ,

यूं ही मरहम बन गये हम ,

उनकी नफरतों में जलते जलते ।


चमक उठती है आंखें उनकी ,

जब करते हैं तमन्ना मेरे नाकाम की ,

यूं ही चिराग बन गये हम ,

उनकी आंखों में खलते खलते ।


उनको नापसंद कुछ मेरी आदतें ,

बनी जरिया राहत और आराम की ,

शुक्र है हमदर्द हो गये हम ,

उनकी नापसंदगी में पलते पलते ।


वो शुक्र गुजार कर गए ,

मुझे बदनाम करते करते ।

हम जुबान पर चढ़ गए ,

उनके हर जिक्र में पलते पलते ।

रविवार, 30 जनवरी 2022

न किया कोई लड़ाई है !

 


न किया कोई लड़ाई है , 

न फरमाइश की लिस्ट लाई है ,

यह कोई समझौता की समझ है ,

या कोई नाराजगी समाई है ।


इस खामोशी ने बैचेनी बढ़ाई है ,

बड़ी दुविधा की स्थिति अाई है ,

यह तूफान के पहले की शांति है ,

या सच में ठंडी हवा की पुरवाई है ।


मनको गवारा नहीं ऐसा तुम्हारा रूप,

कभी झगड़ना तो कभी जाना रूठ ,

कभी छांव बनना तो कभी बनना धूप ,

अच्छा लगता है वही तुम्हारा रसूख ।


अब नाराजगी की करो जी विदाई है ,

यदि समझ है तो बरतो थोड़ी ढिलाई है ,

फरमाइश की  बजाओ वही शहनाई है ,

और फिर कर लो थोड़ी लड़ाई है ।

 

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

वक्त बदलते हैं , हालात बदलते हैं !

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वक़्त बदलते हैं , 

हालात बदलते हैं ,

कभी वक्त लगता है ,

कभी अकस्मात बदलते हैं ।

गर जारी रही कोशिशें ,

तो तय है कि ,

पर्वत भी पिघलते हैं ,

और दरिया भी थमते हैं ।


वक्त बदलते हैं ,

हालात बदलते हैं ,

कभी परिश्रम लगता है ,

कभी भाग्य बदलते हैं ।

गर हौसला बना रहे ,

तो तय है कि ,

अवसर भी मिलते हैं ,

और कामयाबी भी बुनते हैं ।


वक्त बदलते हैं ,

हालात बदलते हैं ,

कभी मर्जी का होता है,

कभी न मर्जी मिलते हैं ।

गर संयम बना रहे ,

तो तय है कि ,

बुरे दौर भी गुजरते हैं ,

बुरे हालात भी टलते हैं ।


वक़्त बदलते हैं , 

हालात बदलते हैं ।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

#निहारता हुं #आसमान को !

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निहारता हुं आसमान को ,

सूर्य तारे और चांद को , 

दिन रात और शाम को ,

कभी छोड़ अपने काम को ।


उड़ते पंछी देते है पर ,

खुशियों की उड़ान को ,

चांद सूरज देते हैं कर ,

रोशन मेरे जहान को ।


सर उठाकर सीखा है जीना ,

देख नीले आसमान को ,

न रुकने का लिया सबक,

देख अस्त और उदयमान को।


मिले सोच को नया आयाम ,

और मन पाये आराम को ,

राहत और सुकून मिले ,

बेचैन मन और ध्यान को ।


कभी छोड़ अपने काम को ,

दिन रात या दीप शाम को ,

सूर्य तारे या शाम को ,

निहार लूं आसमान को ।

शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

#सर्द शाम #चाय की #चुस्कियों में खो जाते हैं !



सर्द शाम चाय की चुस्कियों में खो जाते हैं ।

चलो अपनों संग छोटी सी महफ़िल सजाते हैं ।


चायपत्ती का वो हल्का सा नशीला  रुआब है,

अदरक का गले को सहलाता वो तीखा अंदाज है,

उस पर  शक्कर सी बातों  का मीठा लिहाज है ,

चलो यूं ही तपिश के सुकु लिबास में घिर जाते हैं।......


गर्म चुस्कियों भरी प्याले और ओठों की  बातें हैं,

गर्माहट भरे रिश्तों के अहसास और दिलासे हैं,

हर एक गर्म चुस्कियां से ओठों की तपन बढ़ाते हैं,

चलो तपन की सहूलियत से तबीयत में राहत पाते हैं ।.....


छलक न जाए मिठास से भरे चाय के प्याले ,

रिश्तों की गर्माहट को सर्द हवाओं से संभाले ,

होती रहे प्याले और ओंठों की हंसी मुलाकातें हैं ,

चलो चाय की चुस्कियों में ऐसे कई लम्हे बिताते हैं ।.....


सर्द शाम चाय की चुस्कियों में खो जाते हैं ।

चलो अपनों संग छोटी सी महफ़िल सजाते हैं ।

सुनने के लिए कृपया क्लिक करें ।

लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...