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हर #मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,
अपने ही लोग और #वतन ।
चाहे कहते रहें देश में ,
भय का है वातावरण ।
चाहे कहते रहें देश में ,
अव्यवस्थाओं का है आलम ।
चाहे कितना ही बुरा भला ,
कहते रहें हैं कुछ हम वतन ।
पर मुसीबतों में ढाल बन आते,
अपने ही लोग और अपना वतन ।
चाहे विदेशों में जाकर,
उलझ गए है कुछ हमवतन ।
और निकलने का ढूंढ रहे हैं ,
कोई सुरक्षित साधन ।
फिर चाहे कितनी भी ,
परिस्थितियां हो विषम ।
हर मुसीबत में हाथ बढ़ाते हैं ,
अपने ही लोग और वतन ।
सारे विश्व में देखकर ,
देश का ऐसा दमखम ।
अब तो विदेशी भी थाम रहें हैं ,
हमारे देश का परचम ।
क्योंकि हर मुश्किलों में साथ निभाते ,
चाहे कैसा भी हो मौसम ।
हर पल साथ और अहसास जताते ,
हमारे लोग और हमारा वतन ।
नमस्ते आदरणीय अनीता मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (०५ -०३ -२०२२ ) को
'मान महफिल में बढ़ाना सीखिए'((चर्चा अंक -४३६०) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
सादर