संख्या बदल रही है संसार तो है वही ,
जमी वहीं रहेगी और आसमां भी वहीं ,
दुनिया रहेगी वही और इंसान भी वही ,
संख्या बदलेगी और कुछ अंदाज भी सही।
बेदर्द रहा साल , दुश्वारियां थी हर कहीं ,
कुछ अपने साथ छोड़े, धार आंसू की बही ,
जैसे तैसे संभले है , थोड़ी कसक ही सही ,
बढ़ना तो होगा ही , कुछ अपने साथ न सही ।
महफ़िल नई होगी , पर होगी शाम तो वही ,
पैमाने बदल जायेंगे , पर होंगे जाम तो वही ,
उम्र बदल जाएगी पर होगा उन्माद तो वही,
हिम्मत न होगी कम बस पैगाम है यही ।
नव वर्ष में नूतन खुशियों हो हर कहीं ,
ईश्वर से सबके लिए मनोकामना है यही ।