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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

संख्या बदल रही है संसार तो है वही !

 


संख्या बदल रही है संसार तो है वही ,

जमी वहीं रहेगी और आसमां भी वहीं ,

दुनिया  रहेगी वही और इंसान भी वही ,

संख्या बदलेगी और कुछ अंदाज भी सही।


बेदर्द रहा साल , दुश्वारियां थी हर कहीं ,

कुछ अपने साथ छोड़े, धार आंसू की बही ,

जैसे तैसे संभले है , थोड़ी कसक ही सही ,

बढ़ना तो होगा ही , कुछ अपने साथ न सही ।


महफ़िल नई होगी , पर होगी शाम तो वही ,

पैमाने बदल जायेंगे , पर होंगे जाम तो वही ,

उम्र बदल जाएगी  पर होगा उन्माद तो वही,

हिम्मत न होगी कम बस पैगाम है यही ।


नव वर्ष में नूतन खुशियों हो हर कहीं ,

ईश्वर से सबके लिए मनोकामना है यही ।

बुधवार, 22 दिसंबर 2021

काली रात का करने शिकार !


सन्नाटा है गली मौहल्लों में ,

बच्चे दुबके है माँ के आंचलों में ,

बड़े बुजुर्ग भी दुबककर बैठे हैं ,

बंद कर अपने घरों के किवाड़ ।


पक्षियों के परों की फड़फड़ाहट ,

पत्तियों में हवाओं की सरसराहट ,

खामोशी में खौफ की महफ़िल सजाते हैं ,

कुत्ते , बिल्ली और जंगली सियार ।


जुगनुओं का काफिला कर तैयार ,

जलते दीपकों की लिये तलवार ,

चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,

काली रात का करने शिकार ।


उतर चला है अंधेरे का खुमार ,

थम रहा है रात का अत्याचार ,

बह रही है धवल रोशनी की धार ,

मिल रहा है सबके दिलों को करार ।


चन्द्रमा संग निकले सितारे हजार ,

काली रात का करने शिकार ।

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

बाहर तो निकलो ....!

 


जो देख लिया है जी भरके ,

और समा गए हो आंखों से उतर के,

जो भर गया मन बातें करके ,

तो समझाकर मन को थोड़ा जतन से,

बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।


माना कि चाहत है बेजा हमसे ,

एक पल की दूरी भी भारी है कसम से,

उतरने न देते हो कभी अपने जेहन से ,

कब तक बैठे रहोगे यूं ही बंध के ,

बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।


रुसवा न हो जमाना बढ़ते कदम से ,

होना न पड़े आहत बातों की चुभन से ,

देखें इस जमाने को  उनके ही दर्पण से ,

अब रखकर  कदम अपने बड़े जतन से ,

बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

तो मत कर संकोच !

 


तो  मत कर संकोच,

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे ।


गर मन में है भरोसा ,

कि जो मैंने है सोचा ,

वह नहीं है धोखा ,

मेरे और अपनों के साथ । तो मत कर संकोच......


गर गलत नहीं है चयन ,

तो बढ़ा आगे कदम ,

छोड़ कर सारे वहम ,

कर एक दिन और रात । और  मत कर संकोच......


गर बढ़ा दिया है कदम ,

तो करके सारे जतन ,

बस लगा के सारा दम ,

कर पसीने की बरसात । और  मत कर संकोच......


फहरेगा जीत का परचम ,

या अनुभव का मिलेगा धन ,

बस न हारे यह मन ,

और करते रहे जतन । 


मत कर यह संकोच 

लेकर मन में यह सोच ,

कि लोग क्या कहेंगे । 

लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...