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शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

#उलझ गये वो #कांटों से जनाब !



उलझ गये वो कांटों से जनाब ,
जब चुन रहे थे फूल ए गुलाब ।

कांटों से उलझी जब उनकी उंगली,
कुछ घाव बने , कुछ खिचाव बने ,
कुछ उंगली में रह गई कांटों की फांस ।

खींच खींच कर जब निकली चुनरी,
कुछ धागे उलझे , कुछ धागे सुलझे ,
कट फट गये चुनरी के कुछ भाग ।

कांटों ने यह कैसी बिछाई बिसात ,
उंगली चुनरी संग किया फसाद ,
चुनरी उलझी उंगली भी उलझी,
उलझी उलझी हो गई मन की आस ।

यूं फूलों का फूलों संग मिलना ,
चुभते कांटों को नहीं आता रास ,
आहत हो वो कांटो  से जनाब ,
तन्हा छोड़ गये वो फूल ए गुलाब ।
             *****"दी.कु.भानरे (दीप)******


रविवार, 5 जनवरी 2020

ऐ #आसमां एक #अहसान तो कर !


ऐ आसमां एक अहसान तो कर ,
इनके लिये तुझ तक बना दे तु डगर ।
जो चाहते हैं महबूब संग आसमां में रहना,
चाहते हैं महबूब के लिये चांद तारों का गहना ।

ऐ आसमां एक अहसान तो कर ,
इनके लिये खोल दे तु अपनी बाहों का घर ।
जिन्हें नहीं पसंद बंदिशों में जकड़ना ,
जो चाहते हैं आज़ाद पंछी सा उड़ना ।

ऐ आसमां एक अहसान तो कर ,
इनके लिये तु जमीं पर तो उतर ।
जिन्हें इस जीवन में है कुछ बनना ,
जिनके दिल में है तुझे छूने की तमन्ना ।

ए आसमां तेरे अहसानों का है असर ,
जो हमें यह खूबसूरत कायनात है मयस्सर ।
वो सूरज चांद का दिन रात निकलना,
फिर युं उनका तेरी आगोश में ढलना ।
इससे कायम है कायनात का चलना ,
और बरकरार है रूहों का मचलना ।
                  *****दी.कु.भानरेे,(दीप)*****

लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...