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बुधवार, 22 मई 2024

माथे पर #पसीना !

 


माथे पर #पसीना,

तन नमी से परेशान है,

हाय ये बेरहम #गर्मी ,

#बेचैनी का बड़ा उफान है ।


पंखे और कूलर का,

घर घर अब घमासान है,

ढूंढ ढूंढ कर पेड़ों को छाया,

बैठे पशु पक्षी इंसान है ।


नदियां झरने तलाब सूखे ,

पानी सारा तमाम है ,

बूंद बूंद पानी बना अब,

बोतल बंद सामान है ।


पेड़ लगाना पानी बचाना,

अब सबका अरमान है ,

देखते है कब तक यह जज्बा ,

चढ़ा रहता परवान है ।

सोमवार, 13 मई 2024

#सरपट दौड़े जिंदगी !

 


#सरपट दौड़े जिंदगी,

कोई न हो परेशान,

है #ईश्वर इस संसार में,

दे सबको यह #वरदान ।


फिसले न कोई राहों में,

चाहे गति कितनी असमान ,

अच्छे भले सब घर पहुंचे ,

बिना कोई #नुकसान ।


काम चाहे कोई करे ,

पहुंचे एक परिणाम ,

कमी वैसी कुछ भी न रहे,

संसाधन जुटे सब आसान ।


रोज रोज रोजगार चले,

रोज रोज बढ़े काम ,

दाल रोटी सबकी चलती रहे,

सब घर हो धन धान्य । 


स्वस्थ मन निरोगी काया ,

सुखी हो सब ईश्वर संतान,

प्रभु तो बड़े दयालु है ,

वे करते सबका कल्याण ।

अब न करेंगे हम #प्रकृति को तंग,

मुरझा गई पेड़ों की पत्ती, दिखते नहीं आंगन में पक्षी, बूंद बूंद पानी को तरसती , पशु पक्षी इंसानों की बस्ती । कंकाल बना देह नदी का , चटक गया स...