माथे पर #पसीना,
तन नमी से परेशान है,
हाय ये बेरहम #गर्मी ,
#बेचैनी का बड़ा उफान है ।
पंखे और कूलर का,
घर घर अब घमासान है,
ढूंढ ढूंढ कर पेड़ों को छाया,
बैठे पशु पक्षी इंसान है ।
नदियां झरने तलाब सूखे ,
पानी सारा तमाम है ,
बूंद बूंद पानी बना अब,
बोतल बंद सामान है ।
पेड़ लगाना पानी बचाना,
अब सबका अरमान है ,
देखते है कब तक यह जज्बा ,
चढ़ा रहता परवान है ।