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रविवार, 30 जनवरी 2022

न किया कोई लड़ाई है !

 


न किया कोई लड़ाई है , 

न फरमाइश की लिस्ट लाई है ,

यह कोई समझौता की समझ है ,

या कोई नाराजगी समाई है ।


इस खामोशी ने बैचेनी बढ़ाई है ,

बड़ी दुविधा की स्थिति अाई है ,

यह तूफान के पहले की शांति है ,

या सच में ठंडी हवा की पुरवाई है ।


मनको गवारा नहीं ऐसा तुम्हारा रूप,

कभी झगड़ना तो कभी जाना रूठ ,

कभी छांव बनना तो कभी बनना धूप ,

अच्छा लगता है वही तुम्हारा रसूख ।


अब नाराजगी की करो जी विदाई है ,

यदि समझ है तो बरतो थोड़ी ढिलाई है ,

फरमाइश की  बजाओ वही शहनाई है ,

और फिर कर लो थोड़ी लड़ाई है ।

 

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

वक्त बदलते हैं , हालात बदलते हैं !

इमेज गूगल साभार


वक़्त बदलते हैं , 

हालात बदलते हैं ,

कभी वक्त लगता है ,

कभी अकस्मात बदलते हैं ।

गर जारी रही कोशिशें ,

तो तय है कि ,

पर्वत भी पिघलते हैं ,

और दरिया भी थमते हैं ।


वक्त बदलते हैं ,

हालात बदलते हैं ,

कभी परिश्रम लगता है ,

कभी भाग्य बदलते हैं ।

गर हौसला बना रहे ,

तो तय है कि ,

अवसर भी मिलते हैं ,

और कामयाबी भी बुनते हैं ।


वक्त बदलते हैं ,

हालात बदलते हैं ,

कभी मर्जी का होता है,

कभी न मर्जी मिलते हैं ।

गर संयम बना रहे ,

तो तय है कि ,

बुरे दौर भी गुजरते हैं ,

बुरे हालात भी टलते हैं ।


वक़्त बदलते हैं , 

हालात बदलते हैं ।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

#निहारता हुं #आसमान को !

इमेज गूगल साभार


निहारता हुं आसमान को ,

सूर्य तारे और चांद को , 

दिन रात और शाम को ,

कभी छोड़ अपने काम को ।


उड़ते पंछी देते है पर ,

खुशियों की उड़ान को ,

चांद सूरज देते हैं कर ,

रोशन मेरे जहान को ।


सर उठाकर सीखा है जीना ,

देख नीले आसमान को ,

न रुकने का लिया सबक,

देख अस्त और उदयमान को।


मिले सोच को नया आयाम ,

और मन पाये आराम को ,

राहत और सुकून मिले ,

बेचैन मन और ध्यान को ।


कभी छोड़ अपने काम को ,

दिन रात या दीप शाम को ,

सूर्य तारे या शाम को ,

निहार लूं आसमान को ।

शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

#सर्द शाम #चाय की #चुस्कियों में खो जाते हैं !



सर्द शाम चाय की चुस्कियों में खो जाते हैं ।

चलो अपनों संग छोटी सी महफ़िल सजाते हैं ।

चायपत्ती का वो हल्का सा नशीला  रुआब है,

अदरक का गले को सहलाता वो तीखा अंदाज है,

उस पर  शक्कर सी बातों  का मीठा लिहाज है ,

चलो यूं ही तपिश के सुकु लिबास में घिर जाते हैं।......


गर्म चुस्कियों भरी प्याले और ओठों की  बातें हैं,

गर्माहट भरे रिश्तों के अहसास और दिलासे हैं,

हर एक गर्म चुस्कियां से ओठों की तपन बढ़ाते हैं,

चलो तपन की सहूलियत से तबीयत में राहत पाते हैं ।.....


छलक न जाए मिठास से भरे चाय के प्याले ,

रिश्तों की गर्माहट को सर्द हवाओं से संभाले ,

होती रहे प्याले और ओंठों की हंसी मुलाकातें हैं ,

चलो चाय की चुस्कियों में ऐसे कई लम्हे बिताते हैं ।.....


सर्द शाम चाय की चुस्कियों में खो जाते हैं ।

चलो अपनों संग छोटी सी महफ़िल सजाते हैं ।

सुनने के लिए कृपया क्लिक करें ।

#श्रीराम #अवतरण, प्रभु पड़े चरण ।

  #श्रीराम #अवतरण प्रभु पड़े चरण जगत जन जन सब प्रभु शरण । कृपा सिंधु नयन मर्यादा पुरुषोत्तम सदा सत्य वचन श्री राम भगवन । दुष्टों का दलन बुरा...