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बुधवार, 24 मई 2023

क्या मेरा था यह सही चयन !


गर्म हवा में #बादलों का असर था,

तब मेरा #बस का एक #सफर था ,

पसीने से तन तमाम तरबतर था ,

मन तड़प और बैचेनी का घर था ।


जब तक चलती थी #बस ,

तब तक कम लगती था उमस,

खिड़कियों में हवा #मचलती थी ,

बैचेन मन में राहत पलती थी ।


यूं बस में जब आया ठहराव ,

गर्मी ने तब दिखाया प्रभाव,

यात्रीगण सब गर्मी से त्रस्त ,

राहत उपायों में सब थे व्यस्त,


बस से बाहर यूं ही रखे कदम ,

निजात ढूंढती नजरों के संग ,

राहत भरा कुछ मिल जाये,

कम हो जिससे गर्मी के सितम ।


लस्सी , शरबत,  गन्ने का रस ,

कई #देशी पेय नजरों के समक्ष,

इनमें से जल्दी कुछ  गले में उतरे,

सताती गर्मी से तन मन उवरे।


दुविधा में यकायक आया मन,

इनमें से किसका करें सेवन ,

जो हो शुद्धता के निकटतम,

सेहत के लिये न बने जोखिम .


मन ने गन्ने के रस को चुना ,

ताजा ताजा था जो निकला,

अदरक , नीबू और पुदीनापन,

सेहत के लिये लगा अति उत्तम ।


क्या मेरा था यह सही #चयन ,

सोचता रहा सफर मन ही मन ।

शनिवार, 13 मई 2023

एक #कटोरा #पानी ,"मुट्ठी भर #अनाज ,

 


एक #कटोरा #पानी ,

और "मुट्ठी भर #अनाज ,

#आंगन के किसी कौने में ,

रक्खा क्या फिर आज ।


#फुदक फुदक कर आयेंगी,

चूं चूं कर आवाज ,

#चुगकर दाना पानी से ,

मिटा लेंगी भूख और प्यास ।


चुपके से तुम देखना ,

न जाना उनके पास ,

डरकर झट #फुर्र से ,

जायेंगी #उड़कर भाग ।


भरोसा थोड़ा होने दें ,

कि घाटा नहीं है लाभ ,

आंगन में उनके आने को ,

करते रहें नजर अंदाज ।


आंगन में जब गूंजेगी ,

#चिड़ियों की #चहचहाट,

पायेगा संतोष मन ,

करके ऐसा पुण्य काज ।

         ***दीपक कुमार भानरे***

शनिवार, 6 मई 2023

#दीदार की नर्म #आंच में !

क्या तुम्हे है पता , कोई तुम्हे है देखता .

#दीदार की नर्म #आंच में, दिलों को है #सेकता।


रहते हो काम में अपने व्यस्त,

बूंदें पसीने की गिरती हो टप टप,

और उलझी उलझी सी रहती है लट,

पर तुम्हे देखकर कोई रहता है मस्त।


उसके लिये तुम होते हो खास , 

जिस रूप में भी होते हो आप,

भाता है उसको तुम्हारा हर अंदाज ,

तुम पर ही उसकी खत्म होती तलाश ।


गर जिस दिन तुम न दिखे ,

उन गलियों को बार बार तके,

जिन गलियों में तुम्हारे कदम है चले ,

दीदार के इंतजार में दिन उसका यूं ही ढले ।


भले ही उससे तुम हो अंजान,

पर बन गये है उसके दिलो जान ,

गर दिख जाये उसको चेहरा ए चांद,

तो मिल जायेगा उसको सुकून ए जाम ।


क्या तुम्हे है पता , कोई तुम्हे है देखता .

दीदार की नर्म आंच में, दिलों को है सेकता ।

#श्रीराम #अवतरण, प्रभु पड़े चरण ।

  #श्रीराम #अवतरण प्रभु पड़े चरण जगत जन जन सब प्रभु शरण । कृपा सिंधु नयन मर्यादा पुरुषोत्तम सदा सत्य वचन श्री राम भगवन । दुष्टों का दलन बुरा...