क्या तुम्हे है पता , कोई तुम्हे है देखता .
#दीदार की नर्म #आंच में, दिलों को है #सेकता।
रहते हो काम में अपने व्यस्त,
बूंदें पसीने की गिरती हो टप टप,
और उलझी उलझी सी रहती है लट,
पर तुम्हे देखकर कोई रहता है मस्त।
उसके लिये तुम होते हो खास ,
जिस रूप में भी होते हो आप,
भाता है उसको तुम्हारा हर अंदाज ,
तुम पर ही उसकी खत्म होती तलाश ।
गर जिस दिन तुम न दिखे ,
उन गलियों को बार बार तके,
जिन गलियों में तुम्हारे कदम है चले ,
दीदार के इंतजार में दिन उसका यूं ही ढले ।
भले ही उससे तुम हो अंजान,
पर बन गये है उसके दिलो जान ,
गर दिख जाये उसको चेहरा ए चांद,
तो मिल जायेगा उसको सुकून ए जाम ।
क्या तुम्हे है पता , कोई तुम्हे है देखता .
दीदार की नर्म आंच में, दिलों को है सेकता ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 मई 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम
आदरणीय पम्मी मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 मई 2023 में साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद ।
सादर ।
वाह!बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शुभा मेम ,
हटाएंआपकी प्रशंसायुक्त प्रतिक्रिया के लिए बहुत धन्यवाद ।
सादर ।