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शनिवार, 21 दिसंबर 2019

यूं #जिंदगी के #आलम न होते #खफा !



दागों पर सजावटों  का लगा पहरा ,
हकीकतों पर डल रहा  है परदा  ।

कुटिल सी  मुस्कुराहटें  और अदा ,
पैदा कर रही है संशय और अंदेशा ।

इन  मुखोटों को मानकर सही चेहरा ,
बेफिक्र होकर जी रहे  है सब नादां ।

सजावटी आवरण में जो दाग था छुपा ,
वो अंदर ही अंदर एक नासूर सा पका ।

छुपा दाग जिंदगी के लिए बना धोखा ,
कारण एक गंभीर बीमारी का बना ।

अच्छा होता जब हमने दाग था देखा ,
उसी समय मर्ज मान, कर देते दवा ।

यूं जिंदगी के आलम न होते खफा ,
बस हर किस्सा होता सच्चा और खरा।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

मोमबत्ती# जलाकर# फिर आक्रोश# दिखाते हैं !



आओ इस बार भी मोमबत्ती जलाकर फिर आक्रोश दिखाते हैं ,
फिर तुम अपनी राह हम भी अपनी राह की और बढ़ जाते है ।

मीडिया भी खूब चीख चीख कर  इंसाफ इंसाफ चिल्लाते हैं ,
टी आर पी के चक्कर में सब भूल नई खबरों से चोंच लड़ाते हैं ।

हर बारदात के होने पर बेटियों पर और पाबंदियों बढ़ाते हैं ,
पर देर रात तक घूमते बेटों को कोई नई सीख नहीं दे पाते हैं ।

शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जो बच्चों में नंबरों की होड़ बढ़ाते हैं  ,
पर नैतिकता और अच्छे आचरण के अब कहां पाठ पढ़ाते हैं ।

अब तो 3जी और 4जी की डाटा स्पीड में मोबाइल चलाते  हैं
बच्चे बूढ़े और जवान और आसानी से अश्लील सामग्री पाते हैं ।

फ़ूहड़ और अश्लील होती फिल्मों पर उंगली नहीं उठाते हैं ,
परिवार संग साथ बैठकर ऐसी फिल्मों का खूब लुत्फ उठाते हैं ।

घटनाओं के घटने के बाद कड़े कानून बनाने की मांग उठाते हैं ,
पर सजा ना होने के कारण अब अपराधी  कहां खौफ खाते हैं ।

न सोच बदलती न हालात बदलते न कोई ठोस कदम उठाते हैं ,
फिर एक प्रियंका के जान मान को  दरिंदे तार तार कर जाते हैं ।

फिर मोमबत्ती जलाकर चीख पुकार कर आक्रोश दिखाते हैं ।
फिर तुम अपनी राह और हम अपनी राह की और बढ़ जाते हैं ।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10220894447420676&id=1524713766

लो बीत गया एक और #साल !

# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत  गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से ।   सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...