शाम ने #बांधा समा
रात ने दी #दस्तक
अब पूछ रही है #महफिलें
जागना है कब तक ।
दौर पर दौर चले
जाम के लव तलक
अब पूछ रहे है प्याले
रहना होश में कब तक ।
चाँद भी डूबा डूबा है
चाँदनी भी है मदमस्त
पूछ रही है जुगनू
चमकते रहना है कब तक ।
साँसों से साँसो की खुशबू
तूंफा उठाये दिलकश
पूछ रही है फूलों की खुशबू
बागों में ही रहना है कब तक ।
चल पड़ी है ठंडी बयार
मिलने लगी है दिलों को ठंडक
सोच रही है अब महफिलें
कि जल्द मिलेगी राहत ।
*** दीपक कुमार भानरे ***