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शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

पूछ रही है #महफिलें ।

शाम ने #बांधा समा 

रात ने दी #दस्तक 

अब पूछ रही है #महफिलें 

जागना है कब तक । 


दौर पर दौर चले 

जाम के लव तलक

अब पूछ रहे है प्याले 

रहना होश में कब तक ।


चाँद भी डूबा डूबा है 

चाँदनी भी है मदमस्त 

पूछ रही है जुगनू 

चमकते रहना है कब तक । 


साँसों से साँसो की खुशबू 

तूंफा उठाये दिलकश 

पूछ रही है फूलों की खुशबू 

बागों में ही रहना है कब तक । 


चल पड़ी है ठंडी बयार 

मिलने लगी है दिलों को ठंडक 

सोच रही है अब महफिलें 

कि जल्द मिलेगी राहत । 

             *** दीपक कुमार भानरे ***  

रविवार, 6 अप्रैल 2025

#श्रीराम #अवतरण, प्रभु पड़े चरण ।

 

#श्रीराम #अवतरण
प्रभु पड़े चरण
जगत जन जन
सब प्रभु शरण ।

कृपा सिंधु नयन
मर्यादा पुरुषोत्तम
सदा सत्य वचन
श्री राम भगवन ।

दुष्टों का दलन
बुराइयों का दहन
धर्म ध्वजा परचम
श्रीराम शुभ आगमन ।

प्रफुल्लित मन
आस्था आच्छादन
राम राम कण कण
परम आनंद परम आनंद ।

🙏💐श्रीराम नवमी राम जन्मोत्सव
की कोटिश शुभकामनाएं ।
        **जय सियाराम जी की ** 💐🙏
              **दीपक कुमार भानरे**

शनिवार, 29 मार्च 2025

बड़ा ही #विशेष था #शुभ #मुहूर्त (#muhurt) ।

बड़ा ही विशेष था शुभ मुहूर्त

कि जुड़ा था ये मन उनसे अटूट ।

 

धरा में थी हल्की भोर की धूप

और बयार थे शीतलता से अभिभूत ।

 

करती निनाद मंदिर की घंटियाँ

ईश्वर कृपा के मन से हो  वशीभूत

अर्चना और प्रार्थना के उच्चारण से

बने थे  होंठ ईश्वर के  देवदूत ।

 

श्रद्धा और सुकून की दौलत

समेटने को बिखरी थी अकूत ।

 

बागों में छेड़ रही थी तान  

मधुर कोयल की कूक

और मची हुयी थी मधुमाखियाँ में

पराग कण को पीने की लूट ।

 

भँवरे और तितलियाँ के दल  

मंडरा रहे थे फूलों पर खूब ।

 

जब रात से मिलने सूरज   

आसमां में रहा था डूब

अपने अपने घरों की और

पंछी भी कर रहे थे कूच ।

 

पाकर चाँद तारों का  सानिध्य

आसमां भी पा लिये थे नये रूप ।

 

बड़ा ही विशेष था शुभ मुहूर्त

कि जुड़ा था ये मन उनसे अटूट ।

                                *** "दीप"क कुमार भानरे *** 

गुरुवार, 13 मार्च 2025

#होली में कुछ #चुहलबंदी ।

है उत्सव और आनंद
खुशियों के उड़ते रंग 
छाई है #होली की मस्तियां
क्योंकि ऋतु है #बसंत।

कपड़े पुराने ढूंढ रहे 
आलमारी पूरी बिखराए 
जिसको देखो वही लगे 
जैसे नए नए सिलवाए । 

#गुटका दबा दबाए के 
ऐसा मुंह लिया पिचकाए 
खाने एक कौर को 
मुंह भी न खुल पाए । 

#छपरी लोग कह रहे 
होली छपरी का खेल 
पर खुद की छपरी न झांक रहे
जिसमें क्या क्या हुए है खेल ।

22 # पंडे साधु संग 
उतरे 11 भारत वीर 
#पाकी तभी तो हार गए 
कह गए पाकी टेली वीर । 

पानी बचाने होली में 
ज्ञान वो रहे पेल 
जो अपनी चीज धोने में 
ढेरों पानी रहे उड़ेल । 

होली की ढेरों शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।

रविवार, 2 मार्च 2025

#खता किस किस की मैं याद रखूं !

 

#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।

दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।


छोटी सी जिंदगी है
है बहुत खूबसूरत
पर समेटने खुशियां
मिला है बहुत ही कम वक्त
हसरतों को अपने दिल में
यूं उड़ने को आजाद रखूं ।

चलो भूल जाते हैं
अब उन खताओं को
जो ला न सकी
बड़ी #आपदाओं को
खुशियों के दरवाजे में
ऐसे #ताला कब तक #आबाद रखूं ।

#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।

दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।
                  ***दीपक कुमार भानरे **

रविवार, 16 फ़रवरी 2025

सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।


सूर्य किरण तेज 

लिये है जल सहेज 

धर लालिमा भेष 

सुंदर सूर्य अस्त समावेश ।




ऊष्मा है निश्तेज

शीतलता का है प्रवेश

अवनी अंबर करते भेंट

सूर्य अस्त बेला विशेष ।



हर्षित है हृदय 

पुलकित है नेत्र

पाकर सानिध्य सुखद 

सूर्य अस्त परिवेश । 



भभूती तमस लपेट

आतुर निशा नृपेश

जमाने प्रभुत्व प्रदेश

कर सूर्य अस्त आखेट ।

                 ***दीपक कुमार भानरे***


मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

हमारे न होने का #अहसास वो करते हैं !

 


हमारे न होने का
#अहसास वो करते हैं
किसी #महफिल का
जब वो #आगाज करते हैं ।

छोड़ देते है एक जगह
मेरे नाम के पैमाने की
पूछते हैं बार बार वजह
यूं महफिल में मेरे न आने की
फिर मिलकर मेहमानों से
मुस्कराने का यूं ही रिवाज करते हैं ।

ढूंढती हैं नजरें उनकी हर पता
हमारे होने के उस ठिकाने की
मांगते हैं मन्नतें बार बार रब से
उस जगह महफिलें सजाने की
सोचकर ऐसे ही वो हर बार
फिर एक महफिल का आगाज करते हैं ।

हमारे न होने का
अहसास वो करते हैं
किसी महफिल का
जब वो आगाज करते हैं ।
               ** दीपक कुमार भानरे **

शनिवार, 25 जनवरी 2025

कि #हासिल है हमें #हिंदुस्तान की #सरजमी ।

Image Google Sabhar

हम है
किस्मत के बड़े धनी
कि हासिल है हमें
हिंदुस्तान की सरजमी ।


परिश्रम के पसीने से
जहां देह है दहकती
सफलता के सितारों से
जहां जिंदगियां है चमकती
हर हिंदुस्तानी हृदय की
बड़ी विस्तृत है गली ।


निभाते है लोग यहां पर
वसुधैव कुटुंबकम् संस्कृति
कृष्ण और सुदामा सी
विख्यात है यहां दोस्ती
वचन निभाने में तो
प्राणों की भी दे जाते है बलि ।


चांद पर भी देश की
दस्तक है हो चुकी
सूरज के तापमान पर भी
इबारत है नई लिखी
हिंदुस्तान की तो अब
ख्याति है बड़ी इतनी
कि विश्व के सारी निगाहें
हम हिंदुस्तानी पर ही आ टिकी ।


हम है किस्मत के
बड़े धनी
कि हासिल है हमें
हिंदुस्तान की सरजमी ।

गणतंत्र की बहुत शुभकामनायें एवं बधाइयाँ । 
जय हिन्द जय भारत । 

 

रविवार, 19 जनवरी 2025

#कुंभ का शुभ स्नान ।

 


भाग्य का #उदय है
जीवन का है उत्थान
#मोक्ष का पावन द्वार है
#कुंभ का शुभ स्नान ।

#गंगा जमुना सरस्वती
#संगम का है धाम
#पापों से #मुक्ति मिले
मिले #पुण्य परिणाम ।

#अमृत कुंभ प्रकट हुआ
समुद्र मंथन दौरान
#बूंद अमृत गिरी यहां
देव असुर #संग्राम ।

यहां न कोई भिन्न रहा
सब #सनातनी एक संतान
कुंभ के पावन समागम से
धन्य हुआ #हिंद स्थान ।

भाग्य का उदय है
जीवन का है उत्थान
मोक्ष का पावन द्वार है
कुंभ का शुभ स्नान ।

 

पूछ रही है #महफिलें ।

शाम ने #बांधा समा  रात ने दी #दस्तक  अब पूछ रही है #महफिलें  जागना है कब तक ।  दौर पर दौर चले  जाम के लव तलक अब पूछ रहे है प्याले  रहना होश ...