फ़ॉलोअर
बुधवार, 26 दिसंबर 2018
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018
नजाने# किस बात# का नशा# है।
नजाने# किस बात# का नशा# है।
क्यों भटक रहे कुछ युवा, न जाने किस बात का नशा है।
अपने में ही खोये हुये है , दुनिया भी उसकी जुदा है।
बंधनों में नहीं चाहते बंधना ,न ही चाहते कोई कायदा।
जरुरत नहीं मशविरों की ,जिद पूरी करने पर अमादा है।
सब पाने की चाह लिये है ,कच्चे रास्तों सा इरादा है।
बिना हुनर चाहत उड़ान की , जैसे की उड़ता परिंदा है।
लेकर दुनिया में सपनों की , बस छूना चाहते आसमा है।
रेत सा वक्त फिसल रहा है ,मौके भी नहीं कुछ ज्यादा है।
छोड़ बेपरवाही बचपन सी , कुछ तो हो जायें संजीदा है।
हाथ फैलाये खड़ा है 'दीप ' ,रश्मियों भरा नया सबेरा है।
अपने में ही खोये हुये है , दुनिया भी उसकी जुदा है।
बंधनों में नहीं चाहते बंधना ,न ही चाहते कोई कायदा।
जरुरत नहीं मशविरों की ,जिद पूरी करने पर अमादा है।
सब पाने की चाह लिये है ,कच्चे रास्तों सा इरादा है।
बिना हुनर चाहत उड़ान की , जैसे की उड़ता परिंदा है।
लेकर दुनिया में सपनों की , बस छूना चाहते आसमा है।
रेत सा वक्त फिसल रहा है ,मौके भी नहीं कुछ ज्यादा है।
छोड़ बेपरवाही बचपन सी , कुछ तो हो जायें संजीदा है।
हाथ फैलाये खड़ा है 'दीप ' ,रश्मियों भरा नया सबेरा है।
गुरुवार, 13 दिसंबर 2018
काश# समेट# लेता उन पलों# को
काश# समेट# लेता उन पलों# को
काश समेट लेता उन पलों को ,
और बंद करके रख लेता संदूक में।
उत्साह और खुशियों से सरोबार ,
बिताये जो अपनों और दोस्तों संग।
वे पल जो गवाह है आज हकीकत के,
बन जायेंगे किस्से कहानी के अंग।
और बंद करके रख लेता संदूक में।
उत्साह और खुशियों से सरोबार ,
बिताये जो अपनों और दोस्तों संग।
वे पल जो गवाह है आज हकीकत के,
बन जायेंगे किस्से कहानी के अंग।
जब कभी फुरसत से बैठेंगे अकेले में ,
और न होगा दोस्त न अपनों का संग।
चुपके से लवों पर मुस्कराहट लिए ,
जब यादों में आयेंगे वे खूबसूरत प्रसंग।
तब खोलकर भरी संदूक से निकाल
जीवन में भर लूंगा खुशियों के वे सारे रंग।
और न होगा दोस्त न अपनों का संग।
चुपके से लवों पर मुस्कराहट लिए ,
जब यादों में आयेंगे वे खूबसूरत प्रसंग।
तब खोलकर भरी संदूक से निकाल
जीवन में भर लूंगा खुशियों के वे सारे रंग।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
लो बीत गया एक और #साल !
# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से । सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...
-
रोज सुबह आते दैनिक या साप्ताहिक अखबार हो , टीवी मैं चलने वाले नियमित कार्यक्रम हो या फिर रेडियो मैं चलने वाले प्रोग्राम हो या मोबाइल मैं आ...
-
Image Google saabhar. एक दूजे के लिये #चांद से यह दुआ है ता उम्र , हो पल पल सुकून का और हर पल शुभ #शगुन । हो न कोई गलतफहमी न कोई उलझन, शांत ...
-
लाऊं कहां से ऐसी #गली, #गुजरे जिस पर तू अच्छी #भली । चाहे न हो #रात ढली , या है कोई #सुनसान गली , मना न हो जहां जाना पगली , मिले न जहां #भे...