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#फुर्सत मिली न मुझे !
# फुर्सत मिली न मुझे अपने ही काम से लो बीत गया एक और # साल फिर मेरे # मकान से । सोचा था इस साल अरमानों की गलेगी दाल , जीवन...
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रोज सुबह आते दैनिक या साप्ताहिक अखबार हो , टीवी मैं चलने वाले नियमित कार्यक्रम हो या फिर रेडियो मैं चलने वाले प्रोग्राम हो या मोबाइल मैं आ...
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Image Google saabhar. एक दूजे के लिये #चांद से यह दुआ है ता उम्र , हो पल पल सुकून का और हर पल शुभ #शगुन । हो न कोई गलतफहमी न कोई उलझन, शांत ...
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लाऊं कहां से ऐसी #गली, #गुजरे जिस पर तू अच्छी #भली । चाहे न हो #रात ढली , या है कोई #सुनसान गली , मना न हो जहां जाना पगली , मिले न जहां #भे...
बहुत कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह दिया इन शब्दों में ...
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमुल्य् टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवादसंजय जी .
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