#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।
दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।
छोटी सी जिंदगी है
है बहुत खूबसूरत
पर समेटने खुशियां
मिला है बहुत ही कम वक्त
हसरतों को अपने दिल में
यूं उड़ने को आजाद रखूं ।
चलो भूल जाते हैं
अब उन खताओं को
जो ला न सकी
बड़ी #आपदाओं को
खुशियों के दरवाजे में
ऐसे #ताला कब तक #आबाद रखूं ।
#खता किस किस की
मैं कब तक याद रखूं
पता #खुशियों का
मैं कब तक #नजरअंदाज रखूं ।
दिल में रश्क की
मैं कब तक #आग रखूं
खुशियों को अपने से
मैं कब तक #नाराज रखूं।
***दीपक कुमार भानरे **
मैं कब तक याद रखूं
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 06 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय, मेरी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 06 मार्च 2025 को लिंक .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद! आभार । सादर ।
हटाएंजीवन में आशाकिरण का संचार करती हृदय को प्रसन्न करती सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद जी ।
हटाएंबहुत बड़िया सर जी
जवाब देंहटाएंबहुत बड़िया सर जी
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद सर ।
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