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निहारता हुं आसमान को ,
सूर्य तारे और चांद को ,
दिन रात और शाम को ,
कभी छोड़ अपने काम को ।
उड़ते पंछी देते है पर ,
खुशियों की उड़ान को ,
चांद सूरज देते हैं कर ,
रोशन मेरे जहान को ।
सर उठाकर सीखा है जीना ,
देख नीले आसमान को ,
न रुकने का लिया सबक,
देख अस्त और उदयमान को।
मिले सोच को नया आयाम ,
और मन पाये आराम को ,
राहत और सुकून मिले ,
बेचैन मन और ध्यान को ।
कभी छोड़ अपने काम को ,
दिन रात या दीप शाम को ,
सूर्य तारे या शाम को ,
निहार लूं आसमान को ।
अतिसुन्दर :-)
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-1-22) को पुस्तकों का अवसाद " (चर्चा अंक-4311)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
आदरणीय रवि सर,
जवाब देंहटाएंआपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद ।
आदरणीय कामिनी मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् की चर्चा रविवार को पुस्तकों का अवसाद " (चर्चा अंक-4311) पर शामिल करने के लिए सादर धन्यवाद ।
बहुत सुंदर भाव सृजन।
जवाब देंहटाएंउड़ते पंछी देते है पर ,
जवाब देंहटाएंखुशियों की उड़ान को ,
चांद सूरज देते हैं कर ,
रोशन मेरे जहान को ।
बहुत सुंदर पंक्तियाँ।
सुंदर भावाभिव्यक्ति!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीय कोठारी मेम एवं बृजेंद्रनाथ सर प्रोत्साहन हेतु की गई आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
जवाब देंहटाएंसर उठाकर सीखा है जीना ,
जवाब देंहटाएंदेख नीले आसमान को ,
न रुकने का लिया सबक,
देख अस्त और उदयमान को।
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
मिले सोच को नया आयाम ,
जवाब देंहटाएंऔर मन पाये आराम को ,
राहत और सुकून मिले ,
बेचैन मन और ध्यान को ।...जिंदगी में सबसे जरूरी बात..
सुंदर सराहनीय सृजन ।
आदरणीय भारद्वाज मेम एवं सिंग मेम प्रोत्साहन हेतु की गई आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!कल कल झरने सा बहता लाज़वाब सृजन।
जवाब देंहटाएंमन मुग्ध हो गया।
सादर
आदरणीय भारती एवं सैनी मेम प्रोत्साहन हेतु की गई आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनीषा मेम प्रोत्साहन हेतु की गई आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर
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