न किया कोई लड़ाई है ,
न फरमाइश की लिस्ट लाई है ,
यह कोई समझौता की समझ है ,
या कोई नाराजगी समाई है ।
इस खामोशी ने बैचेनी बढ़ाई है ,
बड़ी दुविधा की स्थिति अाई है ,
यह तूफान के पहले की शांति है ,
या सच में ठंडी हवा की पुरवाई है ।
मनको गवारा नहीं ऐसा तुम्हारा रूप,
कभी झगड़ना तो कभी जाना रूठ ,
कभी छांव बनना तो कभी बनना धूप ,
अच्छा लगता है वही तुम्हारा रसूख ।
अब नाराजगी की करो जी विदाई है ,
यदि समझ है तो बरतो थोड़ी ढिलाई है ,
फरमाइश की बजाओ वही शहनाई है ,
और फिर कर लो थोड़ी लड़ाई है ।