गया वो जमाना ,
जब लोग करते थे फुर्र,
और हर बात के लिये,
शांति के थे सुर ।
अब भारत शेरों का है ठिकाना ,
और शेरों सा है सुर ।
देश के अंदर भी ,
और देश के बाहर भी ,
अब दुश्मनों के होश ,
हो गये हैं काफूर।
गर कोई आंख दिखाये,
या भिड़ने को है आतुर ,
शेरों की तरह अब भारत ,
दहाड़ता है करता है गुर्र।
चाहे कोई भ्रष्टाचारी है ,
या है देश विरोधी असुर,
करने सर्वनाश इनका तत्पर ,
मेरा भारत शेर बहादुर ।
अब देश शेरों का है ठिकाना ,
और इसका शेरों सा है सुर ।
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