मंगलवार, 20 सितंबर 2022

अब शेरों का है ठिकाना , और शेरों सा है सुर ।


गया वो जमाना ,

जब लोग करते थे फुर्र,

और हर बात के लिये,

शांति के थे सुर ।


अब भारत शेरों का है ठिकाना ,

और  शेरों सा है सुर ।


देश के अंदर भी ,

और देश के बाहर भी ,

अब दुश्मनों के होश ,

हो गये हैं काफूर।


गर कोई आंख दिखाये,

या भिड़ने को है आतुर ,

शेरों की तरह अब भारत ,

दहाड़ता है करता है गुर्र।


चाहे कोई भ्रष्टाचारी है ,

या है देश विरोधी असुर,

करने सर्वनाश इनका तत्पर ,

मेरा भारत शेर बहादुर ।


अब देश शेरों का है ठिकाना ,

और इसका शेरों सा है सुर ।

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