शान से निखर कर
,
दिल और जिगर पर,
वक्त के हर प्रहर पर ,
जैसे छत्र छाया मेरे सर पर ,
लहराया तिरंगा मेरे घर पर ।
हवाओं की हर गुजर पर ,
समंदर की हर लहर पर ,
पर्वतों के हर शिखर पर ,
जैसे चंद तारे आसमां के जिगर
पर ,
तिरंगा लहराया देश के घर घर पर ।
देशप्रेम की अगन पर
,
न्यौछावर सब वतन पर
,
भारतमाता को नमन कर
,
अमृतमहोत्सव के मनन पर
,
लहराया तिरंगा हर सदन पर ।
जय हिन्द , जय भारत ।
लहराए तिरंगा घर घर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक सर, नमस्ते , मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (13-08-2022) को "हमको वो उद्यान चाहिए" (चर्चा अंक-4520) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
आदरणीय संगीता मेम, आजादी के इस अमृत महोत्सव में घर घर तिरंगा फहराएं और देश प्रेम और देशभक्ति की भावना के साथ देश के कल्याण की कामना करें । आपकी प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर , आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ। देशभक्ति और तिरंगे के प्रति आत्मीयता को समेटे बहुत ही सुंदर कविता । तिरंगे को देख कर हर भारतवासी का मन गर्व और उत्साह से भर जाता है और मन में अपने देश के प्रति प्रेम का भाव अपने आप ही जागृत होता है । इस भाव को आपकी कविता बहुत ही सुंदर और आनंदकारी रूप से दर्शाती है । हार्दिक आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम । कृपया मेरे ब्लॉग पर आ कर भी मुझे आशीष दीजिए
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनंता मेम, मेरी कोशिशों को प्रोत्साहित करने के लिये आपके बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद । सादर ।
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