#आवारा सा #दिल कहीं का ,
न उम्र देखें न सलीका ,
जहां देखा चेहरा हंसी सा ,
बस हो जाये उसी का ।
न आसमां न जमीं का ,
न ख्याल दुनिया की रस्मों का ,
जब देखें रंग बिरंगी तितलियां ,
बस हो जाये उन्हीं का ।
ये माने न कहना किसी का ,
है खुद की दुनिया का शहंशाह ,
उसे पुकारा जिसने होकर अपना,
बस हो जाये उन्हीं का ।
सोशल मीडिया के दुनिया का,
अब खूब लगा रहा है गोता,
ढेरों लाइक है दोस्तों का ,
सारा जग लगा है अपनों सा ।
आवारा सा दिल कहीं का ,
कहीं खाकर कोई धोखा ,
बिखर न जाये एक सीसा सा,
कहीं हो न जाये दुखी सा ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 14 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आदरणीय यशोदा मेम,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ब्लॉग को "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 14 नवम्बर 2022 को साझा करने के और आमंत्रण लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
सादर ।
बहुत बढ़िया साहब!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय प्रकाश सर, आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु ।
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