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बहकी बहकी सी बारिश है ,
हवाओं से मिल की साज़िश है ,
दरवाजे खटखटाती शोर मचाती,
फुहारों संग घर में घुस आती ,
फर्श फिसलन भरा बनाती है ,
न जाने कौन सी निभाती रंजिश है ।........
बहकी बहकी सी बारिश है ,
बिजली गिरा की आतिश है ,
बादलों से धमाके करवाती ,
सबके दिलों को दहलाती ,
डरे सहमे सब घर में बैठे ,
न जाने क्यों ऐसी की जिद है ।.........
बहकी बहकी सी बारिश है ,
दिल को बनाया लावारिश है ,
नाच रहे बस तन को भिगो के ,
चाहे जमाना कुछ भी सोचे ,
मस्ती में नाचे मन का मोर ,
जैसे प्रकृति का मादक आशीष है ।
बहकी बहकी सी बारिश है ,
कहीं गिरी तो कहीं खारिज है ,
कहीं तो जलजला ले आती ,
कहीं बूंद बूंद को तरसाती ,
ऐसी मदहोशी हो कमजोर,
सबको मिले सम बारिश है ,
है ईश्वर से यही गुजारिश है ।
आदरणीय ज्योति मेम , आपकी बहुमूल्य और सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार ।
जवाब देंहटाएंसादर ।