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मंगलवार, 5 जुलाई 2022

बहकी बहकी सी बारिश है !

इमेज गूगल साभार


 बहकी बहकी सी बारिश है ,

हवाओं से मिल की साज़िश है ,

दरवाजे खटखटाती शोर मचाती,

फुहारों संग घर में घुस आती ,

फर्श फिसलन भरा बनाती है ,

न जाने कौन सी निभाती रंजिश है ।........


बहकी बहकी सी बारिश है ,

बिजली गिरा की आतिश है ,

बादलों से धमाके करवाती ,

सबके दिलों को दहलाती ,

डरे सहमे  सब घर में बैठे ,

न जाने क्यों ऐसी की जिद है ।.........


बहकी बहकी सी बारिश है ,

दिल को बनाया लावारिश है ,

नाच रहे बस तन को भिगो के ,

चाहे जमाना कुछ भी सोचे ,

मस्ती में नाचे मन का मोर ,

जैसे प्रकृति का मादक आशीष है ।


बहकी बहकी सी बारिश है ,

कहीं गिरी तो कहीं खारिज है ,

कहीं तो जलजला ले आती ,

कहीं बूंद बूंद को तरसाती ,

ऐसी मदहोशी हो कमजोर,

सबको मिले सम बारिश है ,

है ईश्वर से यही  गुजारिश है ।

1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय ज्योति मेम , आपकी बहुमूल्य और सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु बहुत धन्यवाद और आभार ।
    सादर ।

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